राज्य कृषि समाचार (State News)

विलुप्त होते देसी ज्वार बीज को बचाने का जतन

26 अक्टूबर 2025, (दिलीप  दसौंधी, मंडलेश्वर ,कृषक जगत): विलुप्त होते देसी ज्वार बीज को बचाने का जतन – कुछ दशक पूर्व तक ग्रामीणों का मुख्य खाद्यान्न देसी ज्वार ही होता था। मेहमानों के आगमन पर  ही गेहूं की रोटी बनाई जाती थी। लेकिन समय के साथ खान-पान की शैली में परिवर्तन और अधिक उपज देने वाली अन्य खाद्यान्न फसल का रकबा बढ़ने के कारण देसी ज्वार विलुप्त होने की कगार पर आ गई है।  इस खतरे को भांपते हुए  ग्राम चिचली तहसील कसरावद जिला खरगोन के प्राकृतिक कृषक श्री संजय शर्मा ने देसी ज्वार के बीज को बचाने का जतन करते हुए भिंड जिले से इसका बीज मंगाकर एक एकड़ से अधिक रकबे में  बोया है। ज्वार की कटाई अभी बाकी है। प्राप्त उपज के बाद पता ही चलेगा कि देसी ज्वार बीज को बचाने का उनका यह प्रयास कितना सफल रहा।

श्री शर्मा ने कृषक जगत को बताया कि एक कृषक मित्र से जानकारी मिलने पर लहार जिला भिंड के किसान श्री राजाराम सिंह ठाकुर से 5  किलो  देसी ज्वार   ( स्थानीय भाषा में गारिया ज्वार ) का बीज  मंगाकर इस वर्ष खरीफ में  एक एकड़ से अधिक रकबे में  बोया था।अंकुरण के बाद लगातार वर्षा  से फसल जल गई और फसल के बीच गैप बढ़ गई। हालांकि ज्वार फसल रोग और कीट मुक्त रही और भुट्टे भी बड़े निकले है । इसका भुट्टा यू आकार का निकलता है, जिसका रंग सफ़ेद और दाना बड़ा होता है। इन भुट्टों को  देखकर लग रहा है ,कि इसमें दो प्रकार के देसी बीज मिश्रित हैं। वास्तविकता तो कटाई के बाद ही पता चलेगी। वैसे इन्हें  करीब 15 क्विंटल / एकड़ उत्पादन होने का अनुमान है।

उल्लेखनीय है कि श्री शर्मा  के पास 20  एकड़ ज़मीन है ,जिसमें से 5 एकड़ में विगत 6 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। खरीफ में कपास और सोयाबीन और रबी में चने की खेती प्राकृतिक तरीके से करते हैं। देसी ज्वार बीज को बचाने के लिए पहली बार देसी ज्वार बोई है। तीन वर्ष पूर्व मप्र स्थापना दिवस समारोह में उन्हें जिला मुख्यालय पर प्राकृतिक खेती के लिए सम्मानित भी किया गया था।  

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