केवीके के पोषण पखवाड़ा कार्यक्रम में निदेशक हुए शामिल
21 अप्रैल 2025, बड़वानी: केवीके के पोषण पखवाड़ा कार्यक्रम में निदेशक हुए शामिल – देश के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा पोषण पखवाड़ा 08 से 22 अप्रैल मनाया जा रहा है। इस अवसर पर केन्द्र के सभागार में मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक ( विस्तार सेवाएं ) डॉ. व्हायपी सिंह , रा.वि.सि.कृ.वि.वि. ग्वालियर शामिल हुए और कार्यक्रम का शुभारम्भ किया । डॉ. सिंह द्वारा मृदा विज्ञान के क्षेत्र में अनेक अनुसंधान कार्य किये गये
श्री सिंह ने केन्द्र की जिले में की जा रही गतिविधियों की सराहना करते हुए उपस्थित कृषकों के साथ चर्चा-परिचर्चा करते हुए मृदा के पोषण सुधार हेतु अपनाये जाने वाले उपायों की जानकारी दी । डॉ. सिंह ने कहा कि चने में विल्ट की समस्या के निदान हेतु फंफुद नाशी के प्रयोग से छिड़काव कर एवं माइक्रोन्यूट्रिंट का 2-3 दिन के अंतराल में सिंचाई करने की सलाह दी । इससे चने में विल्ट की समस्या का समाधान किया जा सकता है। साथ ही कृषकों को खेती में नवाचार अपनाने की बात कही । भ्रमण के दौरान आपने केन्द्र की विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों एवं जैविक खेती के क्षेत्र में किये जा रहे केन्द्र के प्रयासों की सराहना की। प्रजनक बीजोत्पादन कार्यक्रम अन्तर्गत केन्द्र द्वारा किये गये उत्कृष्ट उत्पादन पर प्रशंसा व्यक्त की । साथ ही प्राकृतिक/जैविक खेती की नवीनतम तकनीकों को अधिक से अधिक कृषकों तक पहुचाने व केन्द्र पर समन्वित कृषि तकनीकी के प्रचार-प्रसार हेतु एक मॉडल विकसित करने की बात कहीं । डॉ. सिंह ने अपने भ्रमण के दौरान जिले के प्रगति शील कृषक श्री घमंडीलाल ग्राम बड़गॉंव से जैविक खेती में किये जा रहे नवाचार की जानकारी ली व जैविक खेती अपनाने पर तारीफ़ की। केन्द्र के भ्रमण में निदेशक द्वारा केन्द्र के साफ-सफाई व स्वच्छ वातावरण से प्रभावित होकर इसे बनाये रखने की बात कही ।
आरम्भ में केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. एसके बड़ोदिया ने कृषकों व अतिथियों का स्वागत कर केन्द्र की विगत 10 वर्षो में संचालित प्रमुख गतिविधियों का पावर पॉइंट के माध्यम से प्रदर्शन किया । इस अवसर पर जिले के ग्राम टांगड़ा, बड़गॉंव, बोरलाय व तलून के कृषक शामिल हुए । इस भ्रमण कार्यक्रम के सफल आयोजन में केन्द्र के डॉ डी. के. जैन, उद्यानिकी वैज्ञानिक, डॉ. बी. कुमरावत वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान), श्री उदय सिंह अवास्या, श्री रविन्द्र सिकरवार अनुसंधान सहायक एवं श्री अरविंद अवास्या, अनुसंधान सहायक, श्री एन. के. पर्ते, वाहन चालक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
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