State News (राज्य कृषि समाचार)

डायग्नोस्टिक टीम ने किया फसलों का निरीक्षण, किसानों को दी उचित सलाह

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03 फरवरी 2024, मंडलेश्वर(दिलीप  दसौंधी, मंडलेश्वर): डायग्नोस्टिक टीम ने किया फसलों का निरीक्षण, किसानों को दी उचित सलाह – इन दिनों खरगोन जिले में रबी के तहत चना फसल में कीटों का प्रकोप और गेहूं फसल में कुछ- कुछ किस्मों में ग्लूम ब्लॉच नामक रोग देखे जाने की सूचना पर गत दिनों जिला स्तरीय डायग्नोस्टिक टीम द्वारा गोगांवा विकासखंड के कुछ गांवों का भ्रमण कर फसलों का निरीक्षण किया और किसानों को उचित सलाह दी गई।

डायग्नोस्टिक टीम द्वारा ग्राम दसनावल ( बड़ा टांडा )के किसान श्री गोपाल राजू, श्री सूरज देवीलाल, श्री टव  दुधा , सोलना के किसान श्री तुकाराम थापा , ग्राम घुघरियाखेड़ी के श्री बेलर सिंह रेसला के खेतों में फसलों का अवलोकन किया। उप संचालक (कृषि ) श्री एम एल चौहान ने किसानों से कहा कि चना फसल में कीटों का प्रकोप अधिक  होता है , ऐसे में मैकेनिकल विधि से कीट नियंत्रण करना चाहिए।  इसमें टी आकार की खूंटियां ( (35 -40  /हे ) लगाएं। पक्षी इन पर आकर बैठेंगे और इल्लियों को खाकर उन्हें नियंत्रित करेंगे।  फली में दाना भरते समय खूंटियां निकाल लें। यदि चना में इल्ली का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर(1 -2 लार्वा प्रति मीटर पंक्ति ) से अधिक होने पर नियंत्रण हेतु कीटनाशक दवा फ्लुबेंडामाइड 39.35 % एससी की 100 मि ली /हे या इन्डोक्साकार्ब 15.8 % ईसी की 333 मि ली / हे या इमामेक्टिन बेंजोएट 5 % + लूफेनुरॉन 40 % का 60 ग्राम / हे का 400 – 500  लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। चने में  फूल  वाली अवस्था में सिंचाई न करें। चने में विल्ट से बचाव हेतु कुछ समय तक सिंचाई करने से बचना चाहिए। जड़ सड़न रोग से बचाव हेतु ट्रायकोडर्मा विरडी 250 ग्राम का 500  लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर पौधों में ड्रेंचिंग करें अथवा रिडोमिल 1.5 – 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर जड़ों के आसपास ड्रेंचिंग करें।

गेहूं फसल में कुछ- कुछ किस्मों में ग्लूम ब्लॉच नामक रोग देखा गया है। जिसकी रोकथाम हेतु आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र , खरगोन के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ व्हाय के जैन ने बताया कि प्रतिकूल मौसम जैसे कम तापमान एवं नमी अधिक होने की दशा में इस रोग का संक्रमण हवा के द्वारा फैलता है। इसकी रोकथाम हेतु प्रोपिकोनाजोल दवा का 15 मि ली प्रति पंप के अनुसार घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। डॉ जैन ने यह भी बताया कि गेहूं में इल्ली का प्रकोप होने पर इमामेक्टिन बेंजोएट 5 % का 8 -10 ग्राम / पंप के अनुसार घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। उक्त भ्रमण दल में उप संचालक (कृषि ) श्री एम एल चौहान,वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ व्हाय के जैन,कृषि वैज्ञानिक डॉ मितोलिया , सहायक संचालक कृषि श्री पीयूष सोलंकी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री टी एस मंडलोई ,वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री गिरधारी भावर एवं ग्राकृवि अधिकारी श्री जितेंद्र सोलंकी शामिल थे।

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