विकसित कृषि संकल्प अभियान: तीन दिन में इंदौर जिले के 1681 किसानों को दी जानकारी
02 जून 2025, इंदौर: विकसित कृषि संकल्प अभियान: तीन दिन में इंदौर जिले के 1681 किसानों को दी जानकारी – भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा सम्पूर्ण देश में दिनांक 29 मई से 12 जून के दौरान 15 दिनों के लिए चलाये जा रहे “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत इंदौर जिले के कुल 37 गाँवों के 1681 किसानों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान तथा कृषि विज्ञान केंद्र कस्तूरबाग्राम के कृषि वैज्ञानिकों, स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनके गांव जाकर खरीफ की बोवनी से पूर्व सोयाबीन, मक्का जैसी फसलों की नवीनतम तकनीक की जानकारी दी गई।
प्रथम दिन इंदौर जिले के उमरीखेडा, असरावद खुर्द, मिर्ज़ापुर, रामपुरिया, कोलानी, काली किराय, कदवाली बुजुर्ग, मांगलिया, रामपिपलिया, औरंगपुर, मांचल, रोलाय सहित 12 गाँवों मे, दूसरे दिन तिल्लोर खुर्द, तिल्लोर बुजुर्ग, जामनिया खुर्द, धन्नाड, करदिया, अटावदा, डकाच्या, फरासपुर, पलासिया, गोक्न्या कुंड, चसिया, नाहरखेडी सहित अन्य 13 गाँव, जबकि तीसरे दिन पिवड़ाय, पिपल्दा, सेमिलिया रायमल, खुर्दा, खुर्दी, गोलकुंड-खुर्द, बूढ़ी बरलाई, गुरन, पुवार्दादाई, सागडोद, कालीबिल्लोद, घटीविल्लोद सहित 12 गाँवों सहित कुल 37 गाँवों के 1681 किसानों को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान तथा कृषि विज्ञान केंद्र कस्तूरबाग्राम के कृषि वैज्ञानिकों स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनके गाँव जाकर खरीफ की बोवनी से पूर्व सोयाबीन, मक्का जैसी फसलों की नवीनतम तकनीक की जानकारी दी । इसके लिए इंदौर जिले के सभी तहसीलों में ICAR संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की टीमें गठित की गयी थीं, जिन्होंने इन गाँवों में जाकर उपस्थित किसानों को इकठ्ठा कर फसलों की उत्पादन तकनीक , नवीनतम कृषि पद्धतियों, उद्यानिकी, सहित केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा संचालित कृषकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी।
इंदौर जिले के महू ब्लाक के गांवों के लिए गठित टीम में राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ बी. यु. दुपारे ने जिले के लिए उपयुक्त NRC 150, NRC 142, NRC 165 जैसी सोयाबीन की विभिन्न अनुशंसित किस्में, विपरीत मौसम (अतिवृष्टि या सूखा ) में उपयोगी बोवनी की चौड़ी क्यारी पद्धति, कुढ़-मेड प्रणाली, रेज बीएड पद्धति जैसी बोवनी की विधियों, पीला मोज़ेक वायरस, एन्थ्राक्नोज, रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट जैसे रोगों के प्रबंधन के लिए फदुन्दनाशक के साथ कीटनाशक तथा रायजोबियम/पी.एस.बी. कल्चर से बोवनी के समय बीज उपचार, कीट नियंत्रण की कम खर्चीली पद्धतियाँ (फेरोमोन ट्रैप, पक्षियों की बैठक व्यवस्था, येलो चिपचिपी पट्टियाँ, मेड के चारों तरफ/खाली जगह पर कीट आकर्षक सुवा एवं गेंदे की फसलों का प्रयोग) को अपनाकर खेती में आने वाले व्यय को कम करने की सलाह दी तथा उपस्थित कृषकों के प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी स्थानीय समस्याओं का निराकरण किया. इसी प्रकार कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा ने मानपुर एवं नजदीकी क्षेत्र में लगाई जाने वाली कद्दू एवं अन्य सब्जी वर्गीय फसलें , मक्का उत्पादन तकनीक बाबत एवं कृषि विस्तार प्रशिक्षण केंद्र के श्री ए. के. जायसवाल द्वारा खरीफ की फसलों में जैविक उत्पादन तकनीक में उपयुक्त तरीकों की जानकारी दी।
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