राज्य कृषि समाचार (State News)

भाकिसं पांढुर्ना ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर बताई समस्याएं

27 जून 2024, ( उमेश खोड़े, पांढुर्ना ): भाकिसं पांढुर्ना ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर बताई समस्याएं – मंगलवार को जन सुनवाई में भारतीय किसान संघ (भाकिसं ) महाकौशल प्रान्त जिला पांढुर्ना के सदस्यता प्रभारी श्री उमेश खोड़े और सदस्य श्री नीलेश कलसकर ने प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर श्री अजय देव शर्मा को ज्ञापन सौंपा, जिसमें किसानों की विभिन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए इनके समाधान की मांग की गई।  

6 बिंदु का ज्ञापन – उल्लेखनीय है कि भाकिसं  द्वारा प्रधानमंत्री के नाम दिए गए 6 बिंदु के इस ज्ञापन में मुख्यतः उद्यानिकी फसलों को फसल बीमा में शामिल नहीं करने, वर्षों से फसल बीमा की राशि किसानों को नहीं मिलने , जिन फसलों का रकबा कम हो रहा है, उसे जिला स्तर पर लेने, महाराष्ट्र की तर्ज़ पर मप्र में भी मात्र एक रुपए में किसानों की फसल का बीमा करने, फसल नुकसानी के समय फसल बीमा कम्पनी, कृषि विभाग ,राजस्व विभाग और बैंक में आपसी समन्वय नहीं होने से किसानों को जो परेशानी होती है ,उसके लिए सभी संबंधित विभागों और बैंक अधिकारियों की किसानों की मौजूदगी में संयुक्त बैठक रखने की भी मांग की गई।

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उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं, मुआवजा भी लंबित  – इस संबंध में श्री खोड़े और श्री कलसकर ने कृषक जगत को बताया कि क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों में संतरा , मोसम्बी, टमाटर, अमरुद, मिर्च और सब्जियों की फसल ली जाती है, लेकिन 2019 से राज्य  सरकार द्वारा उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं किया जा रहा है, जबकि हर साल प्राकृतिक कारणों से उद्यानिकी फसलों का नुकसान होता है। फसल बीमा नहीं होने से यह नुकसान किसान को ही भुगतना पड़ता है।  फसल की लागत नहीं निकलने से किसान अपने परिवार के पालन पोषण में ही असमर्थ रहता है और वह केसीसी के ऋण को नहीं भर पाता और कर्ज़ के बोझ से दबा रहता है। गत कई वर्षों के फसल बीमा का मुआवजा भी किसानों को अभी तक नहीं मिला पाया है। ग्रामीण स्तर पर सोयाबीन और मक्का  फसल का रकबा कम होते जा रहा है , उसे जिला स्तर में लिया जाए, ताकि सभी फसलों का बीमा हो सके। सरकार को कम लागत में किसानों का फसल बीमा करना चाहिए , जैसे महाराष्ट्र में मात्र एक रुपए में फसल बीमा किया जाता है।

विभागों में आपसी तालमेल नहीं – भाकिसं के सदस्यता प्रभारी ने कहा कि फसल नुकसानी के दौरान फसल बीमा कम्पनी, बैंक ,कृषि विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी / कर्मचारी क्लेम को लेकर प्रायः अपनी  जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हैं और  एक दूसरे के विभाग की जवाबदारी बताते हुए किसानों को इधर से उधर दौड़ा कर परेशान करते हैं, इसके बावजूद भी मुआवजा नहीं मिल पाता है। वर्ष 2016 -17 से 2023 -24  तक किसानों की खरीफ और रबी फसलों की हुई नुकसानी के क्लेम की राशि के करोड़ों रुपए बैंक में पड़े हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में किसानों को आज तक भुगतान नहीं हो पाया है ,अतः मांग है कि कृषि / उद्यानिकी विभाग इन पुराने वर्षों की क्लेम सूची पुनः कार्यालय में चस्पा करे , ताकि वंचित किसान इस सूची को देखने के बाद आवश्यक कार्रवाई कर भुगतान ले सके। ज्ञापन में फसल बीमा क्लेम के लिए सम्बद्ध विभागों में आपसी तालमेल नहीं होने से किसानों की परेशानी को देखते हुए कलेक्टर से किसानों की मौजूदगी में एक संयुक्त बैठक रखने की भी मांग की गई , ताकि किसानों को पूरी प्रक्रिया बताने के साथ ही संबंधित विभागों की जिम्मेदारी भी तय की जा सके।

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