State News (राज्य कृषि समाचार)

बनाना फेस्टिवल : वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने बताई बारीकियां

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22 फरवरी 2024, बुरहानपुर: बनाना फेस्टिवल : वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने बताई बारीकियां – बुरहानपुर में गत दिनों आयोजित दो दिवसीय बनाना फेस्टिवल में वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने उत्पाद निर्माण की तकनीक, प्रक्रिया और बारीकियों की जो जानकारी दी गई, वह इस प्रकार है –

सुश्री भव्या झा, फैशन डिजाईनर प्रोडक्ट डेवलपमेंट एण्ड मार्केटिंग ने बनाना प्रोडक्ट का महत्व, भविष्य में  संभावनाएं ,  हैण्डी क्राफ्ट प्रोडक्ट बनाने के तौर-तरीके  बताते हुए  कहा कि प्रोडक्ट कम बने लेकिन अच्छा होना चाहिए।  प्रोडक्ट का निर्माण मार्केट एवं  ग्राहक की अपेक्षाओं के अनुरूप करते हुए  ब्रांडिंग के लिए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करें, ताकि आपके  प्रोडक्ट की पहुँच अधिक से अधिक व्यक्तियों तक हो सकें। वहीं सुश्री अमृता दोषी, इंचार्ज हेड एसपीआरईआरआई बड़ोदरा ने बनाना की उपयोगिता एवं यूटिलाईजेशन ऑफ बनाना एग्रोवेस्ट इन टू टेक्सटाइल का महत्व बताया। उन्होंने कहा हम बनाना फाइबर पर कार्य कर रहे है। कॉटन फाइबर से बनाना फाइबर स्ट्रांग होता है। उत्पाद बनाते समय क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। श्री शशांक श्रीवास्तव, उद्यमी, प्लांटेरा बनाना फाइबर प्रायवेट लिमिटेड जयपुर ने ट्रांसफार्मिंग वेस्ट इन टू वेरिएबल टेक्सटाइल संबंधी आवश्यक जानकारी दी।  

डॉ. रविन्द्र नाईक, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअप ने केले के मूल्यवर्धन एवं तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने मशीन के माध्यम से केले के रेशे निकालने की विभिन्न प्रक्रियाओं के चरणबद्ध प्रणाली से अवगत कराया। जबकि  वैज्ञानिक डॉ.चिराग देसाई ने बनाना पेपर टेक्नोलॉजी की बारीकियां  बताते हुए  बताया कि, केले के फाइबर से यूनिफार्म बनाये जा रहे हैं । बनाना पेपर काफी लंबे समय तक उपयोगी होता है एवं पर्यावरण हितैषी भी है। सुश्री उमा थेरे, एमजीआईआरआई सीनियर लेबोरेटरी असिस्टेंट ने बनाना पल्प प्रोसेसिंग की प्रक्रिया से उपस्थित जनों को रू-ब-रू कराया। वैज्ञानिक डॉ.के.एन.शिवा ने केले के तने एवं मध्य भाग से मूल्य वर्धित उत्पाद की जानकारी देते हुए बताया कि प्रोसेसिंग करते समय मौसम एवं गुणवत्ता की प्रमुखता होनी चाहिए। उन्होंने निर्यात के दौरान रखे जाने वाले मापदंड एवं आवश्यक विषयों की जानकारी दी।

आयोजित सेशन में श्री रवि कुमार, वरिष्ठ सलाहकार एमजीआईआरआई द्वारा  हल्दी प्रसंस्करण की बेहतर तकनीक बताते हुए  कहा  कि प्रोसेसिंग में सौर ऊर्जा का उपयोग करके कम लागत में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। श्री प्रांजल रहेजा ने बताया कि सोलर ड्रायर की नई तकनीक के इस्तेमाल से  समय की बचत होगी।  इस तकनीक की खास बात यह है कि, यह किसी भी खाद्य सामग्री की गुणवत्ता कम नहीं होने देता।  जिससे किसान लंबे समय तक अपनी लागत मूल्य को आसानी से निकाल सकते  हैं । इस दौरान सेशन में विषय विशेषज्ञों ने उपस्थित जनों द्वारा पूछे गये सवालों का उत्तर देकर समाधान भी किया।

समूह की कहानी अपनी जुबानी- बनाना फेस्टिवल में आजीविका केले से रेशे से निर्मित उत्पाद ‘‘समूह की कहानी, अपनी जुबानी‘‘ के तहत गौरी स्वयं सहायता समूह शाहपुर की सदस्य उषा उदलकर ने अपने अनुभव  साझा करते हुए कहा कि , समूह की महिलाओं द्वारा केले के रेशे से विभिन्न उत्पाद बनाये जा रहे हैं । वे बताती है कि, यूनिट में 6 मशीनों से प्रतिमाह लगभग 2500 किलोग्राम रेशा प्राप्त होता है। इस रेशे से दीप, झाडू, पेड़ सहित अन्य उत्पाद बनाये जा रहे  हैं । इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। इस कार्य से दीदियों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।

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