राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषि जैव विविधता कांग्रेस 2016 आशा की एक किरण

पिछले दिनों 6 से 9 नवम्बर 2016 के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कृषि जैव विविधता कांग्रेस -आईएसी 2016 का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। इस संम्मेलन का उदघाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। इस कांग्रेस में 60 देशों के लगभग 900 प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें किसान भी सम्मिलित हुए। भारत में कृषि जैव विविधता का प्रथम सम्मेलन होना गौरव का विषय है। देश में, पूरे विश्व के 2.4 प्रतिशत ही भूमि पर मानव जनसंख्या 17 प्रतिशत है। परंतु इसमें अनेक विविधता पायी जाती है। जीवों की यहां विश्व की 7-8 प्रतिशत प्रजातियां पायी जाती हैं। देश में लगभग 45,000 प्रजातियों के पौधे और लगभग 91,000 जातियों के जन्तु पाये जाते हैं। प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में जैव प्रजातियों के संरक्षण हेतु मंथन पर जोर दिया उन्होंने ध्यान आकर्षित किया कि 1992 में बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी कन्वेन्शन के प्रस्तावों के बाद भी विश्व में हर रोज 50 से 150 प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं। आने वाले वर्षों में आठ में से एक प्रजाति के पक्षी तथा एक चौथाई जानवरों के विलुप्त होने पर खतरा बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने जैव प्रजातियों के संरक्षण के लिये सोच में बदलाव पर जोर दिया तथा इस विषय पर एक-दूसरे के अनुभवों का लाभ उठाकर कार्य नीति निश्चित करने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने जैव विविधता को बचाने के लिये इस बात पर जोर दिया कि इसके लिए नियम कायदे या रेगुलेशन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए बल्कि हमें इसके लिये अपनी चेतना जगाने की आवश्यकता होगी। इसके लिये हमें बहुत कुछ पुराना भुलाना होगा और बहुत कुछ नया सिखना होगा। पर हमें यह नहीं भूलना होगा कि जैव-केंद्रित दुनिया में मानव एक छोटा सा हिस्सा भर है और पेड़-पौधे, जीव-जन्तु का महत्व मानव से कम नहीं है। इस कांग्रेस में कृषि जैवि विविधता के जिन पहलुओं पर विचार किया गया उनमें आनुवांशिक संसाधन के क्षेत्र में विज्ञान आधारित नवाचार, आजीविका, खाद्य तथा पोषण सुरक्षा, कम फसलों का उपयोग फसल सुधार में जंगली प्रजातियों की भूमिका के प्रभावी तथा कुशल प्रबंधन के विषय में चर्चा की गयी।
इसके साथ-साथ फसल विविधीकरण, संगरोध, जैव सुरक्षा व उससे संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गयी। बौद्धिक संपदा अधिकार और विभिन्न फसलों के जर्मप्लाज्म के आदान प्रदान के संबंध में भी चर्चा कर नीतिगत निर्णय लिए गए।
आशा है कि कृषि जैव विविधता कांग्रेस में लिए गये निर्णय कृषि जैव विविधता के संरक्षण तथा कृषि के उत्थान के लिये एक नई सोच जाग्रत करेंगे तथा अन्तत: किसान के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी आर्थिक दशा सुधारने में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।

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