अनाज व्यापारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल
24 सितम्बर 2020, इंदौर। अनाज व्यापारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल – म.प्र. अनाज, दलहन – तिलहन महासंघ के आह्वान पर कल 24 सितंबर से पूरे प्रदेश के अनाज व्यापारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। मंडी व्यापारी नीलामी में शामिल नहीं होंगे व्यपारियों की मुख्य मांग मंडी शुल्क को 50 पैसे करने और निराश्रित शुल्क बंद करने की है.अनाज व्यापारियों की प्रदेशव्यापी इस हड़ताल से किसानों को अपनी उपज बेचने में बहुत परेशानी होगी।
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इस बारे में म.प्र. अनाज, दलहन -तिलहन महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री गोपालदास अग्रवाल ने कृषक जगत को बताया कि वर्तमान में मंडी शुल्क 1.70 रु. प्रति सैकड़ा है , जो बहुत ज़्यादा है. इसे 50 पैसे करने की हमारी मुख्य मांग है. इसके अलावा निराश्रित शुल्क को बंद करने की भी मांग की गई है , क्योंकि इसका अब औचित्य नहीं है.मंडी एक्ट में संशोधन के बाद मंडी से बाहर उपज बिकने से बरसों से मंडी में व्यापार कर रहे लोगों के रोज़गार पर असर पड़ेगा .मंडी में ही उपज विक्रय से किसान सुरक्षित रहेगा. अन्य जगह बेचने पर भुगतान के अलावा कई परेशानियां किसानों को आएगी.श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेशव्यापी इस हड़ताल में व्यापारी संगठन अपने स्तर पर अलग -अलग विरोध प्रदर्शन करेंगे. उधर, मंडी प्रशासन ने हड़ताल के चलते किसानों को अपनी उपज मंडी में नहीं लाने की बात कही है.
किसानों की प्रतिक्रिया : बिजूर (धार ) के किसान श्री दिनेश कामदार ने कृषक जगत को बताया कि मंडी बंद रहने से किसानों को मजदूरों को भुगतान करने की समस्या आएगी. मंडी में प्याज -लहसुन बेचकर रबी की तैयारी करना थी, लेकिन हड़ताल से काम रुक जाएगा .वहीं कुवाली (महू ) के किसान श्री सुनील चौधरी ने कहा कि अभी रबी के लिए खाद -बीज की तैयारी का समय है. बीज का दाम भी ज़्यादा है .बारिश के कारण सोयाबीन भीग गई है . ऐसे में मंडी बंद होने से किसानों को अपनी उपज बेचने में और परेशानी होगी.सोयाबीन को सुखाने की समस्या हो गई है . गीली सोयाबीन 2000 -2200 और सूखी 2500 रु. क्विंटल बिक रही है . उपज नहीं बिकने से रबी के काम पिछड़ जाएंगे.मूलठान (खरगोन ) के किसान श्री भगवान यादव ने कहा कि इस साल बारिश के कारण किसानों की हालत बहुत खराब हो गई है.खरगोन मंडी में कपास 3 हज़ार रु. क्विंटल और मक्का 6 -7 रु क्विंटल बिक रही है.जबकि लागत खर्च इससे कहीं अधिक हुआ है .अब मंडी की हड़ताल से किसानों की परेशानियां और बढ़ जाएगी.