National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

भारत सरकार का PMPRANAM कार्यक्रम क्या है?

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01 जुलाई 2023, नई दिल्ली: भारत सरकार का PMPRANAM कार्यक्रम क्या है? – पीएमप्रणाम (PMPRANAM) धरती माता की पुनर्स्थापना, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए प्रधान मंत्री कार्यक्रम (PMPRANAM) है। पीएमप्रणाम की घोषणा इसी हफ्ते पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में की गई। समिति द्वारा जारी बयान के अनुसार, “धरती माता ने हमेशा मानव जाति को जीविका के प्रचुर स्रोत प्रदान किए हैं। खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों की ओर वापस जाना और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/टिकाऊ उपयोग को बढ़ावा देना समय की मांग है। प्राकृतिक/जैविक खेती, वैकल्पिक उर्वरकों और नैनो उर्वरक और जैव-उर्वरक जैसे नवाचारों को बढ़ावा देने से धरती माता की उर्वरता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इस प्रकार, बजट में यह घोषणा की गई कि वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने के लिए “पृथ्वी की पुनर्स्थापना, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए  पीएमप्रणाम कार्याक्रम शुरू किया जाएगा।”

गोबरधन संयंत्रों से जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए बाजार विकास सहायता (एमडीए)

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने एक पैकेज को मंजूरी दे दी है जिसमें धरती माता की बहाली, पोषण और बेहतरी के लिए एक अभिनव प्रोत्साहन तंत्र शामिल है। बायो से उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित जैविक उर्वरकों, जैसे किण्वित जैविक खाद (एफओएम)/तरल एफओएम/फॉस्फेट समृद्ध जैविक खाद (पीआरओएम) के विपणन का समर्थन करने के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के रूप में बाजार विकास सहायता (एमडीए) योजना -गोबरधन पहल के तहत गैस संयंत्र/संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

ऐसे जैविक उर्वरकों को भारत ब्रांड FOM, LFOM और PROM के नाम से ब्रांड किया जाएगा। इससे एक ओर जहां फसल अवशेषों के प्रबंधन की चुनौती और पराली जलाने की समस्याओं से निपटने में सुविधा होगी, वहीं पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी और साथ ही किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी उपलब्ध होगा। किसानों को सस्ती कीमत पर जैविक खाद (FOM/LFOM/ PROM) मिलेगी।

यह पहल इन बीजी/सीबीजी प्लांटों की व्यवहार्यता को बढ़ाकर, चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन योजना के तहत 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट स्थापित किए जायेंगे।

टिकाऊ कृषि अभ्यास के रूप में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से मिट्टी का स्वास्थ्य बहाल हो रहा है और किसानों के लिए इनपुट लागत कम हो रही है। 425 केवीके (कृषि विज्ञान केंद्रों) ने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन किया है और 6.80 लाख किसानों को शामिल करते हुए 6,777 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2023 से लागू होने वाले बीएससी के साथ-साथ एमएससी कार्यक्रमों के लिए प्राकृतिक खेती के लिए  पाठ्यक्रम भी विकसित किया गया है।

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