जैव उत्तेजक (Biostimulant) की बिक्री पर सख्त हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह, ICAR और कृषि विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल
15 जुलाई 2025, नई दिल्ली: जैव उत्तेजक (Biostimulant) की बिक्री पर सख्त हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह, ICAR और कृषि विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कृषि भवन, नई दिल्ली में जैव उत्तेजक (Biostimulant) की बिक्री और विनियमन को लेकर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में कृषि मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक के दौरान मंत्री ने जैव उत्तेजकों की उपयोगिता, उनके परीक्षण, तथा कंपनियों को दी जा रही अनुमति पर गंभीर सवाल खड़े किए और अफसरों को सख्त चेतावनी दी।
मंत्री ने पूछा– किसान हित में काम कर रहा है विभाग या कंपनियों के लाभ के लिए?
शिवराज सिंह ने बैठक में तीखे तेवर दिखाते हुए सवाल किया कि क्या कृषि विभाग और ICAR किसानों के लिए काम कर रहे हैं या कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए? उन्होंने स्पष्ट किया कि जैव उत्तेजकों के मामले में किसानों के साथ किसी भी स्थिति में धोखा नहीं होने दिया जाएगा। खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी उत्पाद को अनुमति देने से पहले किसान की तस्वीर सामने रखकर निर्णय लिया जाए।
ग्राम भ्रमण में सामने आए किसान हित के मुद्दे
हाल ही में देशभर में चलाए गए 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान मंत्री शिवराज सिंह ने खेतों और गांवों में जाकर किसानों से सीधे संवाद किया। इस दौरान कई किसानों ने नकली खाद, घटिया बीज, कमजोर कीटनाशकों और अविश्वसनीय जैव उत्तेजकों की बिक्री की शिकायतें कीं।
इन अनुभवों के आधार पर मंत्री ने कहा कि ऐसे भोले-भाले किसानों से शिकायतें मिलने के बाद वे चुप नहीं बैठ सकते। यह उनकी ज़िम्मेदारी है कि इन शिकायतों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
जैव उत्तेजकों के इतिहास और नियमन पर उठे सवाल
बैठक के दौरान मंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि जैव उत्तेजक भारत में कब से बिक रहे हैं, कितने उत्पाद पंजीकृत हैं, उनमें से कितनों का परीक्षण हुआ है, कितने लंबित हैं और किस आधार पर हर साल इनकी अनुमति बढ़ाई जाती रही है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या इन उत्पादों की उपयोगिता को सिद्ध करने के लिए कोई फील्ड ट्रायल डेटा मौजूद है या नहीं।
उन्होंने बाजार में इनकी बिक्री पर नियंत्रण, नमूना परीक्षण की प्रक्रिया, मानकीकृत परीक्षण प्रोटोकॉल, असली और नकली उत्पादों की पहचान तथा गड़बड़ी होने पर कानूनी कार्रवाई के प्रावधानों के बारे में भी जानकारी मांगी। शिवराज सिंह ने स्पष्ट कहा कि ये सभी सवाल न सिर्फ किसानों के मन में हैं, बल्कि उनके अपने भी हैं।
अब ICAR से अनिवार्य होगा जैव उत्तेजकों का वैज्ञानिक परीक्षण
मंत्री ने निर्देश दिया कि जैव उत्तेजकों की वैज्ञानिक उपयोगिता को प्रमाणित करने के लिए ICAR से उनका परीक्षण कराना अनिवार्य किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ये उत्पाद तकनीकी रूप से किसानों के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं या नहीं। उन्होंने नाराज़गी जताई कि पिछले कई वर्षों तक लगभग 30,000 जैव उत्तेजक उत्पाद बिना कठोर जांच के बाजार में बिकते रहे और अधिकारी आंख मूंदे बैठे रहे।
उन्होंने बताया कि पिछले 4 वर्षों में लगभग 8,000 उत्पाद सक्रिय थे, लेकिन उनके हस्तक्षेप के बाद अब यह संख्या घटकर लगभग 650 रह गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब और तमाशा नहीं चलेगा।
सिर्फ प्रमाणित और प्रभावी उत्पादों को ही मिलेगी अनुमति
मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी मौजूदा जैव उत्तेजकों की व्यापक समीक्षा की जाए और केवल उन्हीं उत्पादों को आगे अनुमति दी जाए जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हों और किसानों को वास्तविक लाभ पहुंचा रहे हों। उन्होंने यह भी कहा कि अब से हर स्वीकृति की पूरी जवाबदेही संबंधित अधिकारियों की होगी। यदि भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी सामने आती है, तो संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
ICAR और कृषि विभाग की भूमिका पर सीधा हमला
शिवराज सिंह ने सख्त लहजे में पूछा कि क्या ICAR और कृषि विभाग किसानों के हित में काम कर रहे हैं या कंपनियों की कमाई के लिए? उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या कोई ऐसा डेटा मौजूद है जिससे यह साबित हो सके कि जैव उत्तेजकों से उत्पादन में वास्तविक वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ वही उत्पाद मान्य होंगे जो वैज्ञानिक कसौटियों पर पूरी तरह खरे उतरेंगे। किसान सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों पर भरोसा करते हैं, और यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि उस विश्वास को बनाए रखें।
नियम निर्धारण के लिए SOP तैयार करने के निर्देश
बैठक के समापन पर मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जैव उत्तेजकों की बिक्री, परीक्षण और अनुमोदन की प्रक्रिया को नियमित करने के लिए एक स्पष्ट SOP (Standard Operating Procedure) तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े हर निर्णय और नीतिगत बदलाव का केंद्र बिंदु किसान होना चाहिए और किसान की आवश्यकता के अनुसार ही वैज्ञानिकों और अधिकारियों को कार्य करना चाहिए।
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