राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

खेती के ये संकेत बता रहे हैं- किसान फिर कर रहे हैं निवेश, बदलाव की आहट तेज

01 मई 2025, नई दिल्ली: खेती के ये संकेत बता रहे हैं- किसान फिर कर रहे हैं निवेश, बदलाव की आहट तेज – 2024-25 का साल भारतीय किसानों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं रहा। इस साल ट्रैक्टर और उर्वरकों की बिक्री ने नया रिकॉर्ड बनाया, जो बताता है कि खेती-किसानी ने कितनी लंबी छलांग लगाई है। हरित क्रांति के दौर से ही ट्रैक्टर, रासायनिक खाद और अच्छी क्वालिटी के बीज खेती की कामयाबी के सबसे बड़े साथी रहे हैं। इनकी बिक्री बढ़ने का मतलब है कि खेतों में कुछ अच्छा हो रहा है।

ट्रैक्टरों की धूम

खेतों में काम को आसान बनाने वाले ट्रैक्टरों की बिक्री इस साल 8.4% बढ़कर 9.40 लाख यूनिट तक पहुंच गई। ये आंकड़ा 2022-23 के अब तक के सबसे बड़े रिकॉर्ड 9.45 लाख यूनिट से बस थोड़ा सा पीछे है।

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ट्रैक्टरों की बिक्री आमतौर पर खेती के सरकारी आंकड़ों से मेल खाती है। मिसाल के तौर पर, 2014-15 और 2015-16 में बिक्री में भारी गिरावट आई थी, और उसी दौरान खेती का उत्पादन भी ठप रहा (-0.2% और 0.6%)। ये वो साल थे जब एल नीनो की वजह से मॉनसून ने मुंह फेर लिया था।

लेकिन 2016-17 और 2017-18 में हालात बदले। ट्रैक्टरों की बिक्री ने जोर पकड़ा, और खेती ने भी 6.8% और 6.6% की शानदार बढ़त हासिल की। 2020-21 में 4% और 2022-23 में 6.3% की वृद्धि के साथ खेती ने अच्छा प्रदर्शन किया, और ट्रैक्टर बिक्री ने भी इसे बखूबी दर्शाया। हां, 2023-24 में एल नीनो ने फिर दस्तक दी, जिससे खेती की रफ्तार 2.7% तक सिमट गई और ट्रैक्टर बिक्री भी प्रभावित हुई।

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कुछ साल ऐसे भी रहे जब ये तालमेल टूटा। 2018-19 में खेती की वृद्धि सिर्फ 2.1% थी, लेकिन ट्रैक्टर बिक्री ने बाजी मार ली। उस साल कमजोर एल नीनो था, और 2018 में बारिश की कमी का असर 2019-20 में ट्रैक्टर बिक्री पर दिखा, जबकि खेती ने 6.3% की वृद्धि दर्ज की। 2021-22 में सरकारी आंकड़ों ने 4% वृद्धि दिखाई, लेकिन खाद्य महंगाई और गेहूं, चावल, चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदियों ने सवाल उठाए। उस साल ट्रैक्टर बिक्री 6.4% गिरी।

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खाद की बिक्री ने मचाया धमाल

2024-25 में यूरिया और जटिल उर्वरकों (जिनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सल्फर होता है) की बिक्री ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। यूरिया की बिक्री 387.7 लाख टन और जटिल उर्वरकों की 142.1 लाख टन रही। ये आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 4.6% खेती वृद्धि के अनुमान से पूरी तरह मेल खाते हैं

म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP) और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) की बिक्री भी पिछले साल की तुलना में खूब बढ़ी। 2023-24 में एल नीनो की मार पड़ी थी—कम बारिश, छोटी सर्दी और गर्मी की लहरों ने उर्वरक बिक्री को थाम लिया था।

बस एक उर्वरक, डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), की बिक्री घटी। ये 2024-25 में 92.8 लाख टन रही, जबकि पिछले दो साल में 108.1 और 104.2 लाख टन थी। DAP, जिसमें 46% फॉस्फोरस होता है, हाल के सालों में मांग के मुकाबले कम उपलब्ध रहा। इसकी कमी को पूरा करने के लिए किसान 20:20:0:13, 10:26:26, 12:32:16 जैसे जटिल उर्वरकों और SSP की ओर मुड़े, जिनमें फॉस्फोरस कम है, लेकिन पोटैशियम और सल्फर जैसे पोषक तत्व मौजूद हैं।

पिछले दो साल में 20:20:0:13 (अमोनियम फॉस्फेट सल्फेट) की बिक्री सबसे ज्यादा बढ़ी है। ये अब यूरिया और DAP के बाद तीसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला उर्वरक बन गया है। इसकी बिक्री 2013-14 में 33.4 लाख टन थी, जो 2023-24 में 53.9 लाख टन और 2024-25 में 69.7 लाख टन तक पहुंच गई।

जटिल उर्वरकों की बिक्री 2013-14 के 72.6 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 142.1 लाख टन हो गई है। इससे DAP और MOP जैसे हाई-एनालिसिस उर्वरकों पर निर्भरता घटी है।

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लेकिन यूरिया की कहानी अलग है। इसकी खपत लगातार बढ़ रही है, क्योंकि ये भारी सब्सिडी वाला उर्वरक है और नवंबर 2012 से इसकी कीमत नहीं बढ़ी। इसकी बिक्री 390 लाख टन के नए रिकॉर्ड तक पहुंच गई। नीम-कोटिंग, जो यूरिया की दक्षता बढ़ाने और गैर-कृषि इस्तेमाल रोकने के लिए शुरू की गई थी, अब अपना असर खो रही है।

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