पारंपरिक मछुआरों के लिए सरकारी योजनाओं का बढ़ता दायरा: जानिए कैसे बदल रही है उनकी जिंदगी
29 नवंबर 2024, नई दिल्ली: पारंपरिक मछुआरों के लिए सरकारी योजनाओं का बढ़ता दायरा: जानिए कैसे बदल रही है उनकी जिंदगी – मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय छोटे मछुआरों और पारंपरिक मत्स्य समुदायों की आजीविका को सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 से शुरू की गई “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” (पीएमएमएसवाई) के तहत, 20,050 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मछुआरों और मत्स्य किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और मात्स्यिकी क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा देना है।
प्रमुख प्रावधान और सहायता
पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मछुआरों और मत्स्य किसानों को नावों और जालों की खरीद, समुद्री सुरक्षा किट, बीमा कवर और आधुनिक फिशिंग उपकरणों के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। साथ ही, पारंपरिक मछुआरों को नई तकनीकों जैसे री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर और बायोफ्लोक सिस्टम अपनाने के लिए प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जा रही है।
योजना में वैकल्पिक आजीविका के रूप में सी वीड और बाइवाल्व कल्टीवेशन, ओपन सी केज कल्चर, और ऑर्नामेंटल फिशरीज़ जैसे प्रयासों को भी प्रोत्साहन दिया गया है। इसके अलावा, कोल्ड-चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग सुविधाओं के लिए भी मदद की जा रही है।
जलवायु अनुकूल मछली पालन पर जोर
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए, मंत्रालय ने जलवायु अनुकूल समुद्री कृषि गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया है। इसके लिए 115.78 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। तटीय क्षेत्रों में आजीविका और संरचना विकास के लिए 100 तटीय गांवों को जलवायु अनुकूल मछुआरा गांवों के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिस पर 200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा के लिए एक लाख ट्रांसपोंडर लगाने की परियोजना शुरू की गई है। इस पर 364 करोड़ रुपये का व्यय होगा। यह ट्रांसपोंडर किसी आपात स्थिति में मछुआरों को अलर्ट करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होंगे।
आर्थिक सशक्तिकरण और क्रेडिट सुविधा
मछुआरों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मत्स्य किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) का गठन किया जा रहा है। अब तक 2,195 एफएफपीओ की स्थापना को मंजूरी दी जा चुकी है। इसके साथ ही, मछुआरों और मत्स्य किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। अब तक 2.54 लाख मछुआरों को 2,121.29 करोड़ रुपये की ऋण राशि जारी की गई है।
चार वर्षों में विकास की तस्वीर
पिछले चार वर्षों में पीएमएमएसवाई के तहत 4,969.62 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 1,823.58 करोड़ रुपये का केंद्रीय अंश शामिल है। इस योजना के माध्यम से 131.13 लाख मछुआरों को बीमा कवरेज दिया गया है, और 5.94 लाख से अधिक परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।
सरकार की इन योजनाओं ने न केवल मछुआरों की आजीविका को सुरक्षित किया है, बल्कि मत्स्य पालन क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर उसे अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाया है।
यह जानकारी राज्यसभा में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने दी।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: