दालों पर MSP की गारंटी: किसानों को मिलेगा पूरा लाभ
18 जनवरी 2025, नई दिल्ली: दालों पर MSP की गारंटी: किसानों को मिलेगा पूरा लाभ – केंद्र सरकार ने आवश्यक खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। वर्ष 2024-25 में अच्छी मानसूनी बारिश और अनुकूल मौसम के चलते दालों और प्याज का उत्पादन बढ़ने की संभावना जताई गई है।
दालों और प्याज का उत्पादन
कृषि विभाग के अनुसार, तुअर का उत्पादन 2.5% बढ़कर 35.02 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) होने का अनुमान है। मूंग के उत्पादन में भी 20% की वृद्धि दर्ज की गई है। प्याज के रबी और खरीफ सत्र में अधिक बुवाई की गई है, जिससे उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है। आलू की बुवाई भी अनुकूल स्थिति में है।
हालांकि, 2023-24 में प्याज उत्पादन में 20% और आलू उत्पादन में 5% की गिरावट दर्ज की गई थी। अल-नीनो और असमान मानसून के चलते तुअर, उड़द और चना जैसी दालों का उत्पादन भी औसत से कम रहा था।
दिसंबर 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.22% पर रही, जो अक्टूबर में 6.21% थी। खाद्य मुद्रास्फीति दर भी घटकर 8.39% हो गई। पिछले वर्षों से तुलना करें तो 2022 में औसत मुद्रास्फीति 6.69% और 2023 में 5.65% थी, जबकि 2024 में यह घटकर 4.95% रह गई।
दालों की खुदरा कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने मूंग, मसूर और चना दाल की बिक्री “भारत ब्रांड” के तहत शुरू की। इसके अलावा, दालों के लिए शुल्कमुक्त आयात नीति को 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया।
तुअर, उड़द और मसूर के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीद की अधिकतम सीमा हटा दी गई है, जिससे MSP पर 100% खरीद की गारंटी दी गई है। किसानों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, और परंपरागत क्षेत्रों के बाहर भी दालों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए।
प्याज उत्पादन और निर्यात नीति
सरकार ने रबी प्याज का बफर स्टॉक बनाने के लिए 4.7 एलएमटी प्याज खरीदा, जिसका औसत खरीद मूल्य 2833 रुपये प्रति क्विंटल था। यह पिछले वर्ष के 1724 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है। बफर स्टॉक से प्याज 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर खुदरा दुकानों और मोबाइल वैन के माध्यम से बेचा गया।
घरेलू आपूर्ति बनाए रखने के लिए, 8 दिसंबर 2023 से 3 मई 2024 तक प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया। 4 मई से 12 सितंबर 2024 तक निर्यात पर 40% शुल्क और $550 प्रति मीट्रिक टन की न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) नीति लागू की गई। इसके बाद MEP हटा दी गई और शुल्क घटाकर 20% कर दिया गया।
2024 में खाद्य मूल्य प्रबंधन कई चुनौतियों के बावजूद बेहतर रहा। घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात-निर्यात नीतियों में समय पर बदलाव करके सरकार ने उपभोक्ताओं और किसानों दोनों को राहत देने की कोशिश की।
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