सोयाबीन की बुवाई के लिए खेत तैयार, 15 जून है निर्धारित समय
31 मई 2025, नई दिल्ली: सोयाबीन की बुवाई के लिए खेत तैयार, 15 जून है निर्धारित समय – देश भर में सोयाबीन की बुवाई के लिए किसानों ने अपने खेतों को तैयार कर दिया है। गौरतलब है कि देश में सोयाबीन की बुवाई के लिए 15 जून से समय निर्धारित है। हालांकि किसान अब मानसून का इंतजार कर रहे है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सबसे अधिक सोयाबीन की खेती की जाती है। इधर कृषि विशेषज्ञों ने बेहतर उत्पादन के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बारे में भी किसानों को जानकारी मुहैया कराई है।
सोयाबीन की टॉप किस्मों के बारे में जानिएविगत कई वर्षों से किसान इस बात का इन्तजार कर रहे थे कि जे. एस.-9560 व जे. एस.-20-34 व अन्य परंपरागत अर्ली किस्मों के बाद उन्हें एडवांस जनरेशन की एक ऐसी सोयाबीन की अर्ली किस्म का विकल्प मिले जिनमें इन परम्परागत अर्ली किस्मों में आ रही वायरस, कम ऊंचाई, फूटने (शेटरिंग) व निरंतर घट रहे उत्पादन की समस्या का सम्पूर्ण समाधान तो मिले ही तथा बढ़ते हुए कटाई में मजदूरी खर्च को देखते हुए इस किस्म की ऊंचाई अच्छी हो ताकि हार्वेस्टर से काटने में भी उपयुक्त हो। साथ ही उसमें दाने की गुणवत्ता व उच्च उत्पादन क्षमता एसे दोनों गुणों का भी संयोजन हो ताकि सोयाबीन उत्पादन में विगत कई वर्षों से कम उत्पादन, बढ़ती खेती की लागत व कम बाजार भाव के कारण हो रहे लगातार नुकसान की भरपाई हो सके व उपरोक्त कारणों का समाधान देकर सोयाबीन उत्पादन को लेकर जो किसानों में निराशा आ रही है उनमें पूर्वानुसार एक उत्साह का संचार कर सके।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय म.प्र. द्वारा वर्षों की कड़ी मेहनत व गहन अनुसंधान के पश्चात सोयाबीन की नवीनतम अर्ली, चमत्कारी किस्म जे. एस.-23-03 अवधि लगभग 88-90 दिवस देश के मध्य क्षेत्र म.प्र. / राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के विदर्भ मराठवाड़ा व उ.प्र. के बुन्देलखण्ड में बोनी हेतु जारी की है जो कि किसानों की उपरोक्तानुसार बताई गई आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को पूर्ण करने में भविष्य में पूरी तरह से सक्षम एवं सफल रहेगी व शीघ्र ही परंपरागत सोयाबीन की किस्मों को अपने गुणों के कारण शीघ्र विस्थापित कर अपना एक उच्च स्थान बनाकर किसानों में बहुत जल्दी लोकप्रिय हो जावेगी। इस सोया जाति में जल्दी कटाई होने के गुण के कारण खेत में उपलब्ध वर्षा काल की नमी का उपयोग करते हुए असिंचित अवस्था में भी रबी फसलों की सुखा निरोधक किस्मों का भी उत्पादन लिया जा सकता है। साथ ही जल्दी कटाई होने के कारण खेत खाली होने की स्थिति में अगाती (अर्ली) रबी की फसलें लहसुन-आलू-प्याज, मटर, चना डालर चना, शरबती गेहूं लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म एक आदर्श विकल्प है। इससे किसानों का फसल चक्र प्रबंधन अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो जावेगा। सोयाबीन एवं आगे की रबी अगाती फसलों का उत्पादन भी जल्दी प्राप्त होने से मंडी में उसे जल्दी विक्रय कर किसान मंडी में भीडभाड से मुक्ति तथा उच्चतम भाव का लाभ ले सकते हैं।
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