राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

पूसा ने विकसित की जलवायु स्मार्ट सूखा रोधी चना किस्म – पूसा जे. जी. 16

16 दिसम्बर 2022, नई दिल्ली: पूसा ने विकसित की जलवायु स्मार्ट सूखा रोधी चना किस्म – पूसा जे. जी. 16 – भा.कृ.अनु.प.– भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,  जिसे ‘पूसा संस्थान’ भी कहते है, ने अपने सहयोगी संस्थानों जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर; राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर तथा इक्रिसेट, पतनचेरु हैदराबाद के साथ मिलकर सूखा सहिष्णु और अधिक उपज देने वाली चने की किस्म ‘पूसा जे.जी.16’ को विकसित किया है। यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र,  छत्तीसगढ़,  दक्षिणी राजस्थान,  महाराष्ट्र और गुजरात के मध्यवर्ती सूखा प्रभावित क्षेत्रों में चने की उत्पादकता को बढ़ाएगी, जहां फसल अन्तस्थ के समय सूखा एक बड़ी समस्या है और कभी-कभी उपज भी   50-100%  क्षति होती है। 

जीनोमिक असिस्टेड  प्रजनन तकनीकों का उपयोग करते हुए, चने की किस्म आई.सी.सी.  4958 से सूखा सहिष्णु जीन का पैतृक प्रजाति (जे.जी. 16) में सटीक हस्तांतरण करके इस किस्म को विकसित किया गया है। अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम (चना) के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर इस किस्म का परीक्षण किया गया तथा इसे  अत्यधिक सूखा सहिष्णु पाया गया।

इस किस्म का विकास डॉ. भारद्वाज के नेतृत्व में डॉ. राजीव वार्ष्णेय, डॉ. मनीष रुड़कीवाल, डॉ. अनीता बब्बर, डॉ. इंदु स्वरूप के द्वारा किया गया। डॉ. भारद्वाज ने बताया  कि पूसा जे.जी.16 अत्यधिक सूखा सहिष्णु होने के साथ-साथ फ्यूजेरियम मुरझान और वृद्धिरोध रोगों के लिए प्रतिरोधी, कम अवधि की परिपक्वता वाली (110 दिन) और आवर्तक मूल प्रजाति जे.जी. 16 (1.3 टन/हेक्टेयर) की तुलना में सूखा प्रतिबल की स्थिति में 2.0 टन/हेक्टेयर से अधिक की उपज की क्षमता वाली किस्म है। 

कृषि  मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी ‘पूसा जे.जी. 16’ की अधिसूचना पर डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-भा.कृ.अनु.सं., ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह किस्म देश के सूखा प्रभावित मध्यवर्ती  क्षेत्र के किसानों के लिए जलवायु परिवर्तन की स्थिति से निपटने के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने इस उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए प्रजनकों और सभी भागीदारों को बधाई दी।

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