राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

आंध्र प्रदेश, केरल और छत्तीसगढ़ के प्रस्तावों को स्वीकार किया गया : श्री तोमर

नीति आयोग का प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय परामर्श

08 अक्टूबर 2020, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश, केरल और छत्तीसगढ़ के प्रस्तावों को स्वीकार किया गया : श्री तोमर किसानों के कल्याण, उपभोक्ता स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक खेती के कई सामाजिक आर्थिक एवं पर्यावरण संबंधी फायदे का लाभ उठाने के लिए नीति आयोग ने संबंधित हितधारकों के साथ दो-दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सम्मेलन में कहा कि सदियों से भारत में प्राकृतिक खेती की जाती रही है और उन्होंने देश भर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसे बढ़ावा देने के लिए बजट भी आवंटित किया है। प्राकृतिक खेती पर आंध्र प्रदेश, केरल और छत्तीसगढ़ के प्रस्तावों पर भी विचार किया गया और उनके कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी गई है।

महत्वपूर्ण खबर : डॉं. अनुपम मिश्रा केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल के कुलपति बने

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि अगले पांच वर्षों में राज्य में 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में लगभग 1.20 लाख किसानों ने चालू खरीफ सीजन के दौरान प्राकृतिक खेती को अपनाया और 5.50 लाख अन्य लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। राज्यपाल ने प्राकृतिक खेती के कई लाभ गिनाए- प्राकृतिक खेती में इनपुट लागत लगभग शून्य होती है, सिंचाई की आवश्यकता 60-70 प्रतिशत तक कम हो जाती है जबकि जैविक कार्बन का स्तर 0.5 से बढ़कर 0.9 हो जाता है। इस प्रकार की उपज के विपणन में कोई बाधा नहीं होती है।

नीति आयोग के वीसी डॉ. राजीव कुमार ने प्राकृतिक खेती के लाभकारी पहलुओं को प्रचारित करने के लिए कृषि मंत्रालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रथा को स्वीकार करने और अपनाने की स्थिति अभी भी संक्रमणकाल में है। नीति आयोग के सदस्य (कृषि) प्रो. रमेश चंद ने कहा कि एक नई नीतिगत वातावरण तैयार करने, उत्पाद की पहचान, मूल्य श्रृंखला और विपणन से संबंधित मुद्दों पर भविष्य की गतिविधियों में ध्यान दिया जाएगा। नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने आर्थिक विकास में कृषि के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि खाद्य आपूर्ति प्रणाली में निरंतरता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक आम समझ बनाने और व्यावहारिक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।

इस परामर्श कार्यक्रम में केंद्र एवं राज्य सरकार के अधिकारियों, कृषि विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों, प्राकृतिक खेती से जुड़े ट्रस्ट, एनजीओ, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *