नई यूरिया नीति पर मंत्रीगण अभी विचार ही कर रहे है
नई दिल्ली। उर्वरक मंत्रालय ने नई यूरिया नीति को तैयार करने के लिये एक मंत्रिमंडलीय परिपत्र जारी किया है जिसमें यूरिया का घरेलू उत्पादन बढ़ाना और उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।
सूत्रों ने कहा ‘नई यूरिया नीति सहित उर्वरक क्षेेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर श्री राजनाथ सिंह की अगुआई वाले मंत्रियों के अनौपचारिक समूह द्वार विचार-विमर्श किया गया। अब इन मुद्दों को मंत्रिमंडल द्वारा लिया जायेगा और इस संदर्भ में एक परिपत्र पहले ही पेश किया गया है।Ó जानकारी के मुताबिक प्रस्तावित नई यूरिया नीति में मंत्रालय संयंत्रों को अधिक ऊर्जा सक्षम बनाकर यूरिया उत्पादन को बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रहा है। इस बीच उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कह रखा है कि सरकार यूरिया कीमतों में कोई वृद्धि किये बगैर उर्वरक क्षेत्र में सुधार लाने को प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित नीति उर्वरकों के संतुलित
इस्तेमाल का खाका भी प्रदान करेगा। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम का सही अनुपात 4:2:1 होना चाहिये। वहीं नाइट्रोजन प्रदान करने वाले यूरिया को दी जाने वाली अधिक सब्सिडी के कारण इसकी कीमत कम है जबकि बाकी दो तत्व महंगे हैं। इसके परिणामस्वरूप देश में उर्वरकों का इस्तेमाल 8:3:1 में किया जाता है। केन्द्र सरकार ने पहले ही तालचेर और रामागुंडम में दो बंद पड़े यूरिया संयंत्रों के पुनरूद्धार के लिये साझा उद्यम बनाकर यूरिया के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने को लेकर कदम उठाए हैं जबकि दो अन्य संयंत्रों के पुनरूद्धार के लिये मंत्रिमंडलीय मंजूरी दी गई है। केन्द्र सरकार ने यूरिया निवेश नीति में भी कुछ परिवर्तन किये हैं जिसके तहत वह नये संयंत्रों की स्थापना की अनुमति देगी। सरकार के नियंत्रण में आने वाले यूरिया की बिक्री बेहद, सब्सिडी प्राप्त दर 5,360 रुपये प्रति टन के हिसाब से की जा रही है। अधिकतम खुदरा मूल्य और उत्पादन लागत का अंतर निर्माताओं को केन्द्र सरकार की ओर से सब्सिडी के रूप में दी जाती है। मौजूदा समय में देश यूरिया की तीन करोड़ टन की वार्षिक घरेलू मांग को पूरा करने के लिये करीब 80 लाख टन यूरिया का आयात करता है। भारत करीब 2.2 करोड़ टन यूरिया का वार्षिक उत्पादन करता है।