राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

विदेशों में भारत के बासमती चावल की मांग बढ़ी

10 वर्षों में 27 किस्में जारी

27 जुलाई 2023, नई दिल्ली(निमिष गंगराड़े): विदेशों में भारत के बासमती चावल की मांग बढ़ी – अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल का महत्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। भारत से निर्यात होने वाले चावल का आंकड़ा देखेंगे तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि यहां के बासमती चावल की खुशबू पूरे विश्व में फैल रही है। गत सप्ताह लोकसभा में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि बासमती चावल का निर्यात वर्ष 2021-22 में 3.94 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2022-23 के दौरान 4.5 मिलियन टन हो गया है। श्री तोमर ने जानकारी दी कि बासमती चावल का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत 2 राष्ट्रीय संस्थानों- भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआईआरआर), हैदराबाद और राष्ट्रीय चावल अनुसंधान (एनआरआरआई) कटक को विशेष रूप से पूरे देश के लिए चावल पर अनुसंधान एवं विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वर्ष 2014 से 2023 तक इन दस वर्षों के दौरान देश में खेती के लिए 27 बासमती चावल किस्मों सहित कुल 516 किस्में धान की जारी की गई हैं।

फल-सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाने पर वित्तीय सहायता

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के तहत पूरे देश में फलों और सब्जियों को सडऩे से बचाने के लिए कोल्ड स्टोरेज की स्थापना पर वित्तीय मदद दे रही है। इसके अंतर्गत 5 हजार मीट्रिक टन की क्षमता के कोल्ड स्टोरेज के निर्माण/ विस्तार/ आधुनिकीकरण के लिए सहायता दी जाती है। यह सहायता बैंक एंडेड सब्सिडी के रूप में लागत के 35 प्रतिशत की दर पर उपलब्ध है। पहाड़ी व अनुसूचित क्षेत्रों में लागत के 50 प्रतिशत पर यह सब्सिडी मिलती है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार वर्तमान में देशों में 8639 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनकी क्षमता आज की तारीख में 394 मीट्रिक टन है।
वहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय बागवानी और गैर बागवानी उपज के फसलोपरांत नुकसान को कम करने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन स्कीम का कार्यान्वयन करता है। इसमें इरेडिएशन फैसिलिटी के साथ इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन प्रोजेक्ट लगाने के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपए की अनुदान सहायता के अध्यधीन मूल्य संवर्धन और प्रोसेसिंग के लिए क्रमश: 50 प्रतिशत और 75 प्रतिशत की दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है।

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