अगर सरकार यूरिया पर सब्सिडी न दे तो किसानों को 739 फीसदी अधिक देना होगा खाद का दाम
14 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: अगर सरकार यूरिया पर सब्सिडी न दे तो किसानों को 739 फीसदी अधिक देना होगा खाद का दाम – रबी फसलों का सीजन चल रहा है। ऐसे में किसानों को खाद की आवश्यकता होती है। फसलों की बुवाई से लेकर अन्य तरह के कृषि काम में यूरिया की जरूरत होती हैं। यूरिया एक तरह की खाद हैं जिसे पौधों को पोषण देने के लिए खेतों में छिड़का जाता हैं। यूरिया खरीदने के लिए सरकार की ओर से हर साल सब्सिडी दी जाती हैं।
किसानों को सस्ती दर पर यूरिया उपलब्ध हो इसके लिए सरकार हर साल यूरिया सब्सिडी के लिए करोड़ों का बजट पास करती हैं। सरकार कुल 1.75 लाख करोड़ का बजट इस वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए लेकर चल रही हैं।
हालांकि सरकार की ओर से दी गई सब्सिडी किसानों के खाते में न आकर कंपनियों को सीधा भुगतान कर दी जाती है। इससे जो यूरिया की 45 किलो की बोरी कंपनी की ओर से 2236.37 रुपए की आती है, उस पर सरकार की ओर से सब्सिडी देने के बाद किसानों को यूरिया की एक बोरी मात्र 266.50 रुपए में पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो सरकार यूरिया पर सब्सिडी के रूप में बड़ी मोटी राशि खर्च कर रही है।
कितनी सब्सिडी देती हैं सरकार
किसानों को राहत देने के लिए यूरिया की 45 किलों की बोरी पर सरकार द्वारा 1969.87 रूपये की सब्सिडी दी जाती हैं। किसानों को यह बोरी 266.50 रुपये में मिलती है जिसकी कीमत सरकार निर्धारित करती है। सरकार किसानों का बोझ कम करने के लिए यूरिया की बोरी 266.50 रुपये में बेचती हैं जबकि इस यूरिया की एक बोरी का दाम 2236.37 रुपये होता है।
मगर कभी किसानों ने यह सोचा हैं कि अगर सरकार यूरिया की बोरी पर सब्सिडी न दे तो यह बोरी किसानों को कितने के मिलेगी। किसानों को इसका कितना अधिक मूल्य देना होगा।
अगर सरकार किसानों को सब्सिडी नहीं देती हैं तो किसानों को इस यूरिया की बोरी का 739 फीसदी अधिक मूल्य देना होगा। जिसका सीधा असर किसानों की आय पर पडे़गा। इसलिए सरकार किसानों के बोझ को कम करने के लिए हर साल डीएपी पर सब्सिडी के रूप में बड़ी मोटी राशि खर्च कर रही है।
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