National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

70 अरब रूपये का खाद्यान्न भण्डारण के अभाव में होता है नष्ट

Share

28 नवम्बर 2023, नई दिल्ली: 70 अरब रूपये का खाद्यान्न भण्डारण के अभाव में होता है नष्ट – भारत में खाद्यान्न का उत्पादन खूब हो रहा हैं और इस उत्पादन में साल दर साल वृध्दि भी हो रही हैं। बावजूद इसके, किसानों को उनकी फसल का सही दाम भी नहीं मिलता हैं और देश में लाखों लोग भूखे सोने के लिए मजबूर होते हैं। इसका कारण कहीं न कहीं भंडारण के लिए उचित व्यवस्था का ना होना भी हैं।

ऐसी कई खबरे सुनने में आती हैं कि खुले आसमान तले रखा लाखों टन अनाज बेमौसम बारिश से भीग गया, करोड़ो रूपये का अनाज सड़ गया, बह गया। इससे बेचारे किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता हैं। इसके अलावा अवैज्ञानिक भंडारण, कीड़े, कृन्तकों (चूहे, गिलहरी) और सूक्ष्म जीवों आदि के कारण भी बड़ी मात्रा में फसल का नुकसान होता हैं। सरकार उत्पादन में वृध्दि हो रही हैं ये तो बताती हैं लेकिन यह नहीं बताती कि अन्न को सुरक्षित कैसे रखा जायेंगा।

भारत में अवैज्ञानिक तरीकों से भंडारण खुद सरकार कराती हैं। खुले आसमान के नीचे कभी बोरों में या कभी यूं ही ढेरों में पड़ा अनाज प्रायः सभी ने देखा है। भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्थान (आईजीएमआरआई), हापुड़ (यू.पी) के आंकड़े बताते हैं कि वार्षिक भंडारण हानि लगभग 7,000 करोड़ रुपये की है जिसमें 14 मिलियन टन खाद्यान्न बर्बाद होता है, जिसमें अकेले कीड़ों द्वारा लगभग 1,300 करोड़ रुपये का नुकसान शामिल है। अवैज्ञानिक भंडारण, कीड़े, कृन्तकों, सूक्ष्म जीवों आदि के कारण फसल कटाई के बाद कुल खाद्यान्न का लगभग 10% नुकसान होता है।

सिर्फ 45% खाद्यान्न उत्पादन स्टोर करने की क्षमता

देश में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 3,235 लाख टन अनाज उत्पादन का अनुमान हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ो के मुताबिक देश में कुल अनाज भंडारण क्षमता 1,450 लाख टन हैं।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एंव कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार देश में सालाना अनाज उत्पादन का सिर्फ 45 प्रतिशत ही स्टोर करने की क्षमता हैं। बाकि शेष अनाज का क्या होता हैं इसका जवाब देने में सरकार भी कतराती हैं।

खाद्यान्न बचाओ कार्यक्रम

भारत में सन 1979 में ‘खाद्यान्न बचाओ’ कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस योजना के तहत किसानों में जागरुकता पैदा करने और उन्हें सस्ते दामों पर भंडारण के लिए टंकियाँ उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन आज भी लाखों टन अनाज बर्बाद होता है।

अपव्यय को कम करने हेतु कार्य

देश में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता विकसित करने की योजना शुरू की गई हैं । सरकार इस योजना पर करीब 1 लाख करोड़ रूपये खर्च कर रही हैं। इससे 5 साल में भंडारण क्षमता 2,150 लाख टन हो जाएगी। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर 500 से 2000 टन के गोदाम बनाने की योजना हैं । इन प्रयासों से कितना अनाज नष्ट होने से बच पायेगा , यह भविष्य के गर्भ में है  l

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम)

Share
Advertisements