ड्रैगन फ्रुट की खेती कर किसानों के लिये प्रेरणा बन रहे है बालाघाट के भूपेन्द्र
कामयाब कृषक की कहानी
16 सितम्बर 2023, बालाघाट: ड्रैगन फ्रुट की खेती कर किसानों के लिये प्रेरणा बन रहे है बालाघाट के भूपेन्द्र – बालाघाट जिले की कटंगी तहसील के ग्राम सीताखोह के किसान भुपेन्द्र शरणागत धान, गेहु, चना की परम्परागत खेती से हटकर ड्रैगन फ्रुट की खेती कर रहे है और अन्य किसानों के लिये प्रेरणास्त्रोत बनने के साथ ही एक मिसाल भी बन रहे है।
बालाघाट जिले की कटंगी तहसील के ग्राम सीताखोह के किसान भुपेन्द्र शरणागत धान, गेहु, चना की परम्परागत खेती से हटकर ड्रैगन फ्रुट की खेती कर रहे है और अन्य किसानों के लिये प्रेरणास्त्रोत बनने के साथ ही एक मिसाल भी बन रहे है। भुपेन्द्र ने वर्ष 2021 में छोटे स्तर से ड्रैगन फ्रुट की खेती प्रारंभ की थी और अब वे इसका विस्तार करने में लगे हुये है। 43 वर्षीय भुपेंद्र शरणागत ने बताया कि उन्होंने कृषि संकाय से 12वीं परीक्षा पास करने के बाद नेचुरोपेथी में डिप्लोमा किया हुआ है। उनका परिवार परम्परागत रूप से धान, गेहु, चना की खेती करते आ रहा था। लेकिन इससे आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपय्या वाली स्थिति निर्मित हो जाती थी। इस कारण से उन्होंने खेती में कुछ नया करने की सोचा था। युरोप के देश नार्वे में रहने वाले अपने भाई की सलाह पर उन्होंने ड्रैगन फ्रुट की खेती करने का मन बनाया। उन्होंने गोंदिया जिले के छोटा रायपुर स्थित भालचंद्र ठाकुर के फार्म पर जाकर ड्रैगन फ्रुट की खेती के संबंध में मार्गदर्शन लिया। गोंदिया के ही मुकूल बोपचे से भी उन्होंने ड्रैगन फ्रुट की खेती के बारे में जानकारी हासिल की।
एक बार लगाने पर 25 साल तक फल
भुपेंद्र ने बताया कि वर्ष 2021 में उसने अपने 50 डिसमील खेत में ड्रैगन फ्रुट की खेती प्रारंभ किया है। उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रुट की खेती के लिये खेत में निश्चित दूरी पर पोल(छोटे खम्बे) लगाये जाते है। इन पोल पर अंगुर की खेती की तरह ही ड्रैगन फ्रुट के पौधे लगाये जाते है और 01 पोल पर ड्रैगन फ्रुट के 04 प्लांट लगाये जाते है। ड्रैगन फ्रुट मूलत: अमेरिका का फल है और यह कैक्टस प्रजाति का पौधा है। एक बार इसका पौधा लगाने पर वह 25 सालों तक फसल देता है। भुपेंद्र ने बताया कि ड्रैगन फ्रुट की खेती कर वह अब तक 10 लाख रुपये की लागत लगा चुके है और उन्हे अब आमदनी मिलना चालू हो गई है। इस वर्ष उनके 50 डिसमील के खेत से 03 क्विंटल ड्रैगन फ्रुट मिले है। यह फसल 200 रुपये प्रति किलोग्राम के दर से आसानी से घर बैठे बिक जाती है।भुपेंद्र ने बताया कि अब उनका इरादा ड्रैगन फ्रुट की खेती को बढ़ाकर 02 एकड़ तक करने का है और उसमें 01 हजार प्लांट लगाने की तैयारी है। प्रति एकड़ 07 टन ड्रैगन फ्रुट का उत्पादन मिलता है। इसके पौधो में फुल आने के बाद 40 दिन में फल तैयार हो जाते है।
जैविक खाद का उपयोग
भुपेंद्र अपने खेत में पूरी तरह से जैविक खाद का उपयोग कर ड्रैगन फ्रुट की खेती कर रहे है। उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रुट की बाजार में बहुत मांग है।यह एंटी आक्सीडेंट होने के साथ ही फैट रहित और उच्च फाइबर युक्त होता है। इसके सेवन से पाचन तंत्र और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इसमें विटामीन सी भी पाया जाता है यह त्वचा रोग में बहुत उपयोगी पाया गया है। यह कैंसर एवं अन्य बीमारियों की रोकथाम में उपयोगी माना जाता है इसे सुपर फुड के नाम से भी जाना जाता है। भुपेंद्र ने अपने फार्म का नाम जय अम्बे ड्रैगन फ्रुट फार्म रखा है और इसी नाम की पैकिंग मे इस फल की सप्लाई करते है।
सब्जियों की खेती भी
ड्रैगन फ्रुट की खेती के संबंध में मार्गदर्शन और सलाह के लिये भुपेंद्र शरणागत के मोबाईल नम्बर 9617795389 पर सम्पर्क किया जा सकता है।उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रुट के साथ ही वे सब्जियों की खेती भी कर रहे है उनके खेत में ड्रैगन फ्रुट के साथ ही बैगन की फसल भी लगी है। उनके खेत से हर सप्ताह 05 ट्रैक्टर बैगन निकल जा रहे है। उनके द्वारा अपने खेत में सुरन (जिमी कंद) की भी खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके खेत में 20 क्विंटल सुरन का उत्पादन हुआ था और 03 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से इसका दाम भी मिल गया। इस वर्ष भी उनके खेत में सुरन की फसल लगाई गयी है।
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