पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और उनका निदान
जब पौधे अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मृदा से ग्रहण नहीं कर पाते तो वे कमी के लक्षण दिखाते हैं। इनकी कमी को पौधों में उत्पन्न पहचाना जा सकता है। इन तत्वों की कमी को उचित उर्वरकों का उपयोग कर आसानी से पूरा किया जा सकता है।
छिपी हुई भूख
इसका कोई भी दिखाई देने वाला लक्षण नहीं होता है, लेकिन पौधे अपनी क्षमता के अनुसार उत्पादन नहीं करते हैं। जब तक की पौधे कमी के लक्षण दिखाने के स्तर तक पहुँचते हंै, तब तक उनकी उत्पादन क्षमता काफी घट जाती है। सही समय पर पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों की पहचान करना लाभदायक फसल उत्पादन का आधार है, क्योंकि इससे पोषक तत्वों को मिट्टी अथवा फसल में उपयोग करने का निर्णय लिया जा सकता है।
कमी के लक्षणों को निन्नलिखित पांच प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
– हरिमाहीनता – इसमें पत्तियों के ऊतकों में क्लोरोफिल निर्माण में कमी के कारण पौधें की पत्तियों में समान रूप से या शिराओं के बीच के भाग में पीलापन दिखाई देता है।
– ऊतक क्षय – ऊतक क्षय से तात्पर्य पौंधों के ऊतकों की मृत्यु से है।
– नई वृद्धि की कमी या शीर्षस्थ वृद्धि की कमी जिसके कारण पौधें फीते के गुच्छे जैसे दिखाई देते है।
– लाल रंग का दिखाई देना या ऐंथोसायनिन का एक जगह जमा होना ।
– हल्के पीलेपन, गहरे हरे या सामान्य रंग के साथ सीमित या कम वृद्धि ।
पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों की पहचान- पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों की पहचान निम्नलिखित आधार पर की जा सकती है।
– लक्षण के पाये जाने का क्षेत्र ।
– मृत धब्बों की उपस्थिति या अनुपस्थिति ।
– पूरे पत्ते या उनकी शिराओं के बीच के क्षेत्र में हरिमाहीनता का होना ।
कमी के लक्षणों का किसी विशेष क्षेत्र में दिखाई देना पौधों में पोषक तत्वों की गतिशीलता पर निर्भर करता है। जैसे-
– नत्रजन, फास्फोरस, मैग्नीशियम एवं मोलिब्डेनम की कमी के प्रारंभिक लक्षण पौधे की निचली पत्तियों पर दिखाई देते है। ये पोषक तत्व पौधें की निचली पत्तियों से शीर्ष पर विकासशील नई पत्तियों की ओर जाते है।
– जस्ता मध्यम गतिशील तत्व है और इसकी कमी के लक्षण पौधे की मध्यम पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
– कम गतिशील तत्वों से गंधक, लोहा, मैंगनीज एवं तांबे की कमी के लक्षण पौधे की नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
– कैल्शियम एवं बोरोन तत्वों की गतिशीलता अत्यंत कम है इसलिए इनकी कमी के लक्षण शीर्षस्थ कलिका पर दिखाई देते हैं?
पोषक तत्वों की कमी को सुधारना –
पौधों में किसी पोषक तत्व की कमी को ठीक ढंग से पहचान करने के बाद, हमारा अगला कदम उसकी कमी को दूर कर फसल की उत्पादन/पैदावार को बढ़ाना होता है। खेत में लगी फसल में पोषक तत्व की कमी को सुधारने में बहुत से कारकों पर विचार करना होता है। जैसे दिये गए मृदा परिस्थिति में गतिशील तत्व, उसकी उपलब्धता , कीमत और कीमत – लाभ अनुपात ।
– अगर गतिशील तत्व के रूप में नाइट्रोजन की कमी होती है, तो इसकी पूर्ति सहीं मात्रा में नाईट्रोजन खाद को टॉप ड्रेसिंग के रूप में छिड़काव कर की जा सकती है।
– सूक्ष्मतत्वों की पूर्ति के लिए साधारण पौधे के पत्ते – पत्तियों पर इसके घोल का छिड़काव की सलाह दी जाती है। लेकिन यह फसल की अवस्था पर निर्भर करता है। अगर फसल की वृद्धि में काफी देर हो गई है, तो आर्थिक दृष्टि से इसका छिड़काव करने से रोका जाता है। इस स्थिति में , पोषक तत्व की कमी को दूर करने के उपाय अगली फसल में किये जाने चाहिए ।
पौधों में पोषक तत्व की कमी को दूर करने के लिए मुख्य एवं सूक्ष्म उर्वरक
पोषक तत्व प्रतिशत में
उर्वरक नत्रजन फास्फेट पोटाश गंधक
यूरिया 46 – – –
अमोनियम सल्फेट 21 – – 24
डी.ए.पी. 18 46 – –
सिंगल सुपर फास्फेट – 16 – 10-12
ट्रिपल सुपर फास्फेट – 46-48 – 1.0
म्यूरेट ऑफ पोटाश – – 60 –
सल्फेट ऑफ पोटाश – – 48-52 17-18
जिप्सम – – – 18.6
जिंक सल्फेट – – – 17.8
एन.पी.के. 12 32 16 –