फसल की खेती (Crop Cultivation)

तीनों मौसम में लगा सकते हैं टमाटर

17 मई 2023, भोपाल । तीनों मौसम में लगा सकते हैं टमाटर – कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. एस.के. जाटव, डॉ. आई.डी. सिंह एवं जयपाल छिगारहा द्वारा बताया गया कि टीकमगढ़ जिले में टमाटर एक लोकप्रिय सब्जी फसल है। इस फसल को सम्पूर्ण भारत वर्ष में उगाया जाता है। टमाटर में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, आयरन एवं अन्य खनिज लवण प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। इसके फल में लाइकोपिन नामक पिगमेंट पाया जाता है। जिसे विश्व का सबसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेन्ट माना गया है। ताजे फल के अतिरिक्त टमाटर को परिरक्षित करके चटनी, जूस, आचार, सॉस, केचप, प्यूरी, आदि के रूप में उपयोग में लाया जाता है। टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए तापमान का बहुत बड़ा योगदान रहता है। टमाटर के लिए आदर्श तापमान 25-35 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त होता है। यह मुख्य रूप से खरीफ, रबी एवं जायद तीनों मौसम में उगाया जा सकता है। गर्मी में उपयोग की जाने वाली प्रजातियां- स्वर्णा नवीन, स्वर्णा लालीमा, काशी अमन, काशी विशेष।

संकर किस्में – स्वर्णा वैभव, स्वर्णा सम्पदा, काशी अभिमान मुख्य रूप से हैं।

टमाटर में खाद एवं उर्वरक का संतुलित मात्रा में प्रयोग किया जाना अति आवश्यक होता है। सामान्य तौर पर 20-25 टन गोबर या कम्पोस्ट की खाद, 100-120 कि.ग्रा. नत्रजन, 60-80 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 50-60 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता प्रति हेक्टेयर पड़ती है। नत्रजन की एक तिहाई तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई से पूर्व तथा नत्रजन की शेष मात्रा दो बराबर भागों में विभाजित कर 25-30 एवं 50-55 दिनों के अंतराल पर खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में दिया जाना चाहिए। ग्रीष्मकालीन फसलों को 5-7 दिन के अंतराल पर एवं शरद कालीन फसलों में 10-15 दिन के अंतराल पर अथवा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। इस बात का पूर्ण रूप से ध्यान रखें कि फसल में जलजमाव या पानी की अधिक मात्रा होती है तो उकठा एवं विषाणु जनित रोग की संभावना बढ़ जाती है। फसल की पैदावार लेने के लिए पौधों के आसपास निंदाई एवं गुड़ाई करें एवं पौधों के जड़ के पास मिट्टी अवश्य चढ़ा दें, जिससे पौधों की बढ़वार अच्छी हो। असीमित बड़वार वाली प्रजाति के पौधों को लकड़ी, तार एवं रस्सी के द्वारा सहारा प्रदान करें, जिसके कारण फल मिट्टी के संपर्क में न होने से विभिन्न रोगों का प्रभाव स्वत: कम हो जाता है। टमाटर की फसल में खरपतवारों के अतिरिक्त बहुतायत नाशीजीवों जैसे कवक, जीवाणु, विषाणु, सुत्रकृमि एवं विभिन्न प्रकार के हानिकारक कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। सभी हानिकारक नाशीजीव फसल उत्पादन क्षमता को प्रभावित करते हैं।

फसल संरक्षण
  • फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें एवं इस बात का ध्यान रहे कि जलजमाव न हो।
  • सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के प्रकोप से पत्तियाँ ऊपर की तरफ सिकुड़ जाती हैं, इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 0.5 मि.ली./ली. पानी की दर से छिडक़ाव करें। रोग ग्रसित पौधों को उखाडक़र मिट्टी में  दबा दें।
  • अगेती झुलसा रोग – इसमें पत्तियों एवं फलों में गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं, जिसके कारण टमाटर की फसल पूर्ण रूप से नष्ट हो सकती है, इसके नियंत्रण हेतु डाइथेन एम 45 का 2.5 ग्रा./ली. या कार्बोक्सिन + मैंकोजेब 2 मि.ली./ली. की दर से छिडक़ाव करें।
  • फल छेदक – ये कीट टमाटर का सबसे बड़ा शत्रु है। पत्तियों एवं फूलों को खाने के बाद फलों में छेद कर अंदर खाना प्रारंभ कर देते हैं। इसके नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफास 2 मि.ली./ली. की दर से छिडक़ाव करें।
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