सुबबूल की खेती में किसानों का भविष्य सुरक्षित
बिना लागत वाली…
3 जून 2022, इंदौर । सुबबूल की खेती में किसानों का भविष्य सुरक्षित –किसान कोई भी खेती करे उसमें लागत तो आती ही है, साथ ही प्राकृतिक प्रकोप और अन्य कारणों से यदि फसल प्रभावित होती है तो नुकसान के कारण किसानों का भविष्य भी सुरक्षित नहीं रहता है, लेकिन यदि सुबबूल की खेती की जाए तो इसमें न तो प्राकृतिक प्रकोप का डर रहता है न ही कोई अन्य लागत आती है। पौधे लगाने के 18 माह बाद फसल की निश्चितता से किसानों का भविष्य सुरक्षित भी रहता है। यह कहना है सुबबूल की खेती करने वाले ग्राम पिपल्या जिला धार के किसान श्री गोविन्द पाटीदार का।
श्री पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि बड़गांवखेड़ी के एक मित्र किसान की प्रेरणा से तीन साल पहले 2019 में 12 एकड़ में सुबबूल के बीज 2x 6 फ़ीट की दूरी पर लगाए थे ,जो अब पेड़ बनकर निश्चित आय का ज़रिया बन गए हैं। सुबबूल के पेड़ों की कटिंग नीचे से की जाती है ,ताकि बाद में और शाखाएं निकलती रहें । अब तक इनकी 4 -5 बार कटिंग कर 460 टन लकड़ी बेची जा चुकी है। जिसे कम्पनी जेके पेपर मिल द्वारा 3600 रुपए प्रति टन की दर से खरीदा जाता है। यहाँ तक कि लकड़ी की कटाई और परिवहन का खर्च भी कम्पनी द्वारा उठाया जाता है। सुबबूल की खेती में खाद -दवाई आदि की ज़रूरत नहीं होती है , इसलिए कोई अन्य लागत नहीं लगती है। ढाई रुपए प्रति पौधे की दर से किसान को कम्पनी से पौधे खरीदने का खर्च लगता है । इस खेती में प्राकृतिक प्रकोप का भी कोई खतरा नहीं रहता है। आंधी -तूफ़ान में भी यह फसल सुरक्षित रहती है। सुबबूल नाम ज़रूर है ,लेकिन इसमें कांटे नहीं होते हैं।
श्री गोविन्द ने बताया कि अब तो सुबबूल की नई किस्म सीटीएम -32 नामक क्लोन वेरायटी आ गई है। इसके टिश्यू कल्चर लगाए जाते हैं ,जो 18 माह में ही उत्पादन देना शुरू कर देती है। इसमें पौधे से पौधे की दूरी 3 फीट और कतार से कतार की दूरी 6 फीट रहती है। दो कतारों के बीच की जगह में अन्य अंतरवर्तीय फसल भी ली जा सकती है। एक एकड़ में 2400 पौधे लगते हैं। जिससे 40 टन उत्पादन मिलता है। पेड़ों की ऊंचाई 25 फीट तक रहती है। जब पेड़ों की ऊंचाई 12 -14 फीट हो जाती है ,तो इनमें फलियां लगने लगती है, जिसके बीज निकाल लें ,इन्हें कम्पनी द्वारा 200 रुपए किलो की दर से खरीदा जाता है। यह अतिरिक्त लाभ है, जिसे आम के आम और गुठलियों के दाम कहा जा सकता है । इन्होंने गांव के ही एक किसान की कोरोना से मृत्यु होने पर उनकी विधवा पत्नी को सुबबूल की खेती के लिए प्रेरित किया और 11 बीघे में सुबबूल लगवाया ,ताकि बिना किसी परेशानी के निश्चित आय हो सके। इनका सभी किसानों से कहना है कि यदि किसानों को सुखी और समृद्ध बनना है तो उन्हें सुबबूल की खेती करनी चाहिए। अधिक जानकारी के लिए श्री विपिन चौहान से मोबाईल नंबर – 9009485410 पर सम्पर्क करें।
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