फसल की खेती (Crop Cultivation)

नरवाई बचाओ-खाद बनाओ

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02 मई 2024, नई दिल्ली: नरवाई बचाओ-खाद बनाओ – वर्तमान में गेहूं की खेती में यंत्रीकरण का उपयोग बढऩे से गेहूं की कटाई कम्बाइन हारवेस्टर ट्रैक्टर द्वारा आसानी से समय पर की जा रही है। किन्तु, उससे गेहूं डंठल में याने नरवाई एवं भूसा खेत में ही छोड़ दिया जाता है जिसको किसान भाई कचरा समझकर आग से जला देते हैं। गेहूं की नरवाई में आग लगाने से सिर्फ नरवाई ही नहीं जलती उसमें जमीन के अंदर उपस्थित सभी सूक्ष्म जीव तापक्रम बढऩे से समाप्त हो जाते हैं। परिणामस्वरुप जली हुई भूमि मृतावस्था में परिणित हो जाती है, जिसको सजीव होने में कर्ई वर्ष लग जाते हैं। कहा जाये प्राय: सदियों से सूक्ष्म जीवों द्वारा पोषित मृदा को कुछ घंटों में ही जलाकर राख में परिवर्तित कर देते हैं। नरवाई जलाना न सिर्फ किसान के लिए हानिकारक है। अपितु प्रकृति, पर्यावरण, भूमि का भी प्रदूषण होता है। खेतों में आग लगने से प्रत्यक्ष रुप से बड़ा नुकसान होता है जिसमें कुछ निम्नानुसार है।

भूमि की उर्वराशक्ति नष्ट हो जाती है।

कीमती भूसे की हानि होती है।

हमारे मित्र कीट केंचुआ,सांप सूक्ष्म जीव आदि आग में नष्ट हो जाते हैं।

मिट्टी की संरचना खराब हो जाती है।

भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाले सूक्ष्म जीव नष्ट होते हैं।

भूमि कड़ी होती है,जिसमें भूमि की जल धारण क्षमता कम होकर जुताई में अधिक,ऊर्जा की खपत होती है।

पर्यावरण दूषित होता है तथा धरती का तापमान बढ़ता है।

कार्बन की मात्रा कम हो जाती है। उपजाऊपन के लिए कार्बन अधिक आवश्यक है।

नरवाई जलाने से जन-धन तथा जंगलों के नष्ट होने की संभावना होती है।

नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान से बचें। किसान भाई नरवाई में आग न लगाएं।

अत: किसान भाइयों से अपील है कि खेतों में नरवाई बिल्कुल न जलायें तथा विभिन्न रूप से नरवाई का उपयोग खाद बनाने में, भूसा बनाने में उपयोग करें, जिसके लिए हमें निम्न कार्य करना आवश्यक है-

लघु सीमान्त कृषक जिनके पास कम भूमि है और यदि श्रमिक उपलब्ध हैं तो फसल की कटाई जहाँ तक हो सके मजदूरों द्वारा कटाई की जाये एवं शेष बचे भूसे के डंठल को खेत में ही दबा दिया जाये।

मिट्टी पलटने वाले यंत्र का उपयोग कर गहरी जुताई करें। जिसमें उपलब्ध नरवाई मिट्टी में दब जाये एवं आगामी समय में कार्बनिक शक्ति बढ़ाने में मददगार साबित हो।

किसान भाई भूसा मशीन (स्ट्रारीपर) का भी उपयोग कर सकते हैं। विशेषकर कम्बाईन हार्वेस्टर की कटाई के पश्चात गेहूँ व धान की फसल में जो लम्बे (8-12) भूसे के डंठल खड़े रहते हैं, उसे स्ट्रारीपर मशीन से काटकर भूसा बनाया जा सकता है। यह मशीन ट्रैक्टर की पीटीओ शाफ्ट से चलाई जाती है तथा भूसा बंद ट्राली में भरा जाता है, स्ट्रारीपर मशीन पर शासन द्वारा अनुदान प्रदाय किया जाता है, इस हेतु क्षेत्रीय कृषि अधिकारी से संपर्क कर योजना का लाभ उठायें।

धान के खेत में नरवाई का उपयोग खाद के रुप में करने के लिए हेप्पीसीडर मशीन का उपयोग किया जाता है। जिसमें खड़े डंठलों को तोड़कर खेत में बिखराने की व्यवस्था रहती है। जिसमें मिट्टी के साथ मिलकर भूसा कार्बनिक खाद रूप में परिवर्तित हो जाता है।

व्यवसाई रूप से नरवाई का उपयोग करने के लिये खासकर धान व गन्ने में बेलर मशीन का उपयोग किया जा सकता है। जिसमें जमीन में पड़े हुए गन्ने की पतियों को मशीन द्वारा एकत्र कर 25 से 30 किलो के गट्ठे बनाये जाते हैं। जिसे पावर जनरेशन सेन्टर प्लाई बोर्ड इंडस्ट्रीज, पेपर इंडस्ट्रीज में प्रदाय कर लाभ कमाया जा सकता है।

रीपर कम बाइंडर एवं स्ट्रारीपर का प्रयोग करें

कटाई के लिए रीपर कम बाइंडर रीपर का प्रयोग करें जिससे फसल कटाई के साथ बंडल भी बनाए जाते हैं।

हार्वेस्टर द्वारा छोड़े गये डंठल की कटाई स्ट्रा रीपर से करें।

स्ट्रा रीपर ट्रैक्टर से चलाने के बाद रोटावेटर चलाकर जुताई करें, जिससे जमीन में एकरूपता होती है। भूमि भुरभुरी होती है जिससे जुताई करने मेें आसानी होती है एवं वायु का संचार होता है तथा वर्षा का पानी अधिक से अधिक संचय होता है।

रीपर द्वारा 1 घंटे में एक एकड़ क्षेत्र में कटाई की जा सकती है, जिससे फसल अनुसार 7 से 10 क्विंटल तक भूसा प्राप्त होता है।

यंत्रों पर कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा अनुदान उपलब्ध है।

म.प्र. शासन एवं जिला प्रशासन के निर्देश अनुसार कंबाइन हार्वेस्टर के साथ एसएमएस (स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) या भूसा मशीन (स्ट्रा रीपर 6) का उपयोग अवश्य करें।

सभी हार्वेस्टर संचालकों को तहसीलदार एवं थाना में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।

प्रत्येक हार्वेस्टर संचालक एवं भूसा मशीन संचालक को साथ में अग्निशमक यंत्र रखना अनिवार्य होगा।

कहीं पर भी आगजनी /नरवाई जलने की घटना होती है तो कृपया डायल 100, ग्राम पंचायत के नोडल अधिकारी, संबंधित थाना प्रभारी, संबंधित तहसीलदार/एसडीएम को तत्काल सूचित करें।

म.प्र शासन, पर्यावरण विभाग के निर्देश अंतर्गत प्रदेश में फसलों विशेषत: धान एवं गेहूँ की फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में  जलाएं जाने को प्रतिबंधित किया गया है। निर्देशों का उल्लंघन किए जाने पर व्यक्ति /निकाय को प्रावधान पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी।

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