Crop Cultivation (फसल की खेती)

सोयाबीन फसल के लिए सर्वोत्तम खाद महावीरा ज़िरोन

Share
(प्रमोद पाण्डे, हेड एग्रोनॉमिस्ट, आर.एम.फॉस्फेट्स एन्ड केमिकल्स ,प्रा लि. )

08 जून 2023, इंदौर: सोयाबीन फसल के लिए सर्वोत्तम खाद महावीरा ज़िरोन – खाद के बिना फसलोत्पादन में वृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती है। फसल को कई पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है , जो उन्हें उर्वरक /खाद प्राप्त होते हैं। मालवांचल में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। ऐसे में यदि सोयाबीन फसल के भरपूर उत्पादन के लिए सर्वोत्तम खाद की खोज करें तो आर.एम.फॉस्फेट्स एन्ड केमिकल्स (आरएमपीसीएल ) के उत्पाद महावीरा ज़िरोन सिंगल सुपर फॉस्फेट ही एकमात्र विकल्प दिखाई देता है क्योंकि इसमें ज़िंक, फॉस्फोरस ,कैल्शियम,सल्फर और बोरॉन के पोषक तत्वों का मिश्रण होता है , जिससे उपज में वृद्धि होती है। ज़िरोन में फॉस्फोरस 16 %, ज़िंक 0. 5 %, बोरॉन 0. 20 %, सल्फर 11 % और कैल्शियम 19 % रहता है। यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है ,लेकिन खासतौर से सोयाबीन , मक्का, कपास,मूंग, मटर, गेहूं,प्याज़, लहसुन,गन्ना,आलू ,धान ,बाजरा,टमाटर, मिर्च एवं फूल वाली फसलों में विशेष लाभदायक है।

उर्वरक की मात्रा और तरीका– मुख्यतः सोयाबीन फसल के लिए बेसल डोज़ के रूप में बुवाई के समय महावीरा ज़िरोन की 150 किलो ,एमओपी  26  किलो ,यूरिया 10 किलो, सिमट्रॉन 4  किलो और मेग्नेशियम सल्फेट 25 किलो /प्रति एकड़ की मात्रा अनुशंसित की गई है। फिर 25 -30  दिन बाद 12 किलो यूरिया डालना चाहिए । फिर फसल में  40 -50  दिन बाद एमिट्रॉन -एल 500  मि ली /सी और 250 ग्राम बोरोन  डालना चाहिए। 

दो क्विंटल अतिरिक्त उपज – अन्य खाद का उपयोग करने पर जहाँ 4 -5 क्विंटल /एकड़ का उत्पादन मिलता है ,वहीं ज़िरोन के 3 बैग प्रति एकड़ उपयोग करने से 6 -7  क्विंटल /एकड़ का उत्पादन मिलता है। इस तरह प्रति एकड़ एक से दो क्विंटल का उत्पादन अधिक मिलता है। औसत दाम 6  हज़ार रु क्विंटल मानें तो इससे किसान को प्रति एकड़ 5 से 10  हज़ार रु की अतिरिक्त आय हो जाती है।

पोषक तत्वों का महत्व : ज़िरोन में उपलब्ध पांच पोषक तत्व फसल को किस तरह मदद करते हैं, इसे इस प्रकार समझा जा सकता है –

ज़िंक –  यह पौधे के नवीन अंगों का निर्माण कर पोटेशियम एवं कैल्शियम अनुपात को नियंत्रित करता है। साथ ही फूलों /फलों को गिरने से भी रोकता है। क्लोरोफिल वृद्धि में सहायक और प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बढ़ाता है।

सल्फर -यह तेल वाली फसलों में तेल की मात्रा बढ़ाता है ,चूँकि सोयाबीन भी प्रमुख तिलहनी फसल है ,अतः यह इसमें  तेल की मात्रा को विशेष रूप से बढ़ाता है।

बोरॉन – यह फूल/फल लगने की प्रक्रिया को तेज़ करता है और पौधे के नए अंगों के निर्माण में सहायक होता है।

कैल्शियम– जड़ों के विकास एवं पौधों के अंगों की रचना में ज़रूरी और कोशिकाओं का अभिन्न तत्व होने से पौधे को मज़बूती प्रदान करता है।

फॉस्फोरस – यह जड़ों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण तत्व है।  यह दलहनी फसलों में जीवाणुओं द्वारा वातावरण से ज़्यादा नाइट्रोज़न स्थिर करने में सहायक होता है।

उर्वरक की मात्रा और तरीका– मुख्यतः सोयाबीन फसल के लिए बेसल डोज़ के रूप में बुवाई के समय महावीरा ज़िरोन की 150 किलो ,एमओपी  26  किलो ,यूरिया 10 किलो, सिमट्रॉन 4  किलो और मेग्नेशियम सल्फेट 25 किलो /प्रति एकड़ की मात्रा अनुशंसित की गई है। फिर 25 -30  दिन बाद 12 किलो यूरिया डालना चाहिए । फिर फसल में  40 -50  दिन बाद एमिट्रॉन -एल 500  मि ली /सी और 250 ग्राम बोरोन  डालना चाहिए। 

दो क्विंटल अतिरिक्त उपज – अन्य खाद का उपयोग करने पर जहाँ 4 -5 क्विंटल /एकड़ का उत्पादन मिलता है ,वहीं ज़िरोन के 3 बैग प्रति एकड़ उपयोग करने से 6 -7  क्विंटल /एकड़ का उत्पादन मिलता है। इस तरह प्रति एकड़ एक से दो क्विंटल का उत्पादन अधिक मिलता है। औसत दाम 6  हज़ार रु क्विंटल मानें तो इससे किसान को प्रति एकड़ 5 से 10  हज़ार रु की अतिरिक्त आय हो जाती है।

हमें विश्वास है कि एक बार ज़िरोन का इस्तेमाल करने के बाद आप अन्य खाद डालना भूल जाएंगे , क्योंकि ज़िरोन से जहाँ लागत कम होगी , वहीं उत्पादन भी प्रति एकड़ ज़्यादा मिलेगा। यही वज़ह है कि कई किसान अपनी फसलों में ज़िरोन का ही प्रयोग करते हैं। अधिक जानकारी के लिए  8956926412 पर संपर्क करें .

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements