फसल की खेती (Crop Cultivation)

अनाज भण्डारण की आवश्यकता

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08 मई 2024, भोपाल: अनाज भण्डारण की आवश्यकता – विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से जूझकर खेत में खड़ी फसल को काटने और सहेजने का समय आ चुका है। अनाज उत्पादन जितना आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण उसका भण्डारण होता है। भण्डारण के महत्व को भूलना ठीक उसी प्रकार होगा जैसे किसी नाटक का सुखान्त अथवा दुखान्त। कटाई-गहाई के बाद अनाज को खूब अच्छी तरह से सुखाना उसके लम्बे भण्डारण के लिये आवश्यक है। अनाज में नमी कीटों के आक्रमण तथा विस्तार के लिए सहायक होती है। देहातों में अनाज को भरने की जल्दी होती है। मौसम के मिजाज का सिकंजा सर पर रहता है। धूप में सूखे अनाज को भरने का कार्य शाम के ठण्डे वातावरण में किया जाना चाहिए क्योंकि गरम-गरम अनाज कोठियों में भरकर उपलब्ध हवा में नमी को निर्माण करने में सहायक होगा। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि जमीन के नीचे खुदे बंडों की साफ-सफाई तथा गोबर से लिपाई भण्डारण के 10-15 दिन पहले ही निपटा दी जाना चाहिए ताकि वह पूरी तरह सूख जाये। इसी प्रकार मिट्टी की कोठियों को भी सफाई करके ही भण्डारण के लिए उपयोग में लाया जाना चाहिए। वर्तमान में लोहे की कोठियां उपलब्ध हैं जो भण्डारण के लिये सर्वोत्तम होती हैं। इनकी भी सफाई करना जरूरी होता है। आजकल पूसा कोठियां जो कम लागत में तैयार हो जाती है में भण्डारित अनाज लम्बे समय के उपरान्त भी अच्छे अंकुरण के बीज उपलब्ध कराता है। ये कोठियां पूर्णतया हवाबंद होती हैं और बाहर की फफूंदी, कीटों को प्रवेश नहीं होने देती हैं क्योंकि इनके अंदर की दीवार मिट्टी की रहती है।

लोहे की कोठियों की तुलना में इनका तापमान भी कम रहता है जिससे रखे अनाज की गुणवत्ता तथा अंकुरण क्षमता कायम रहती है। केन्द्रीय तथा राज्य शासन के अथक प्रयास के बावजूद भी उत्पादित अनाज के लिये समुचित भंडारगृहों का निर्माण आज भी आवश्यकता से बहुत पीछे है निजी तौर पर भी ग्रामीण अंचलों के आसपास सैकड़ों भंडारगृह तैयार किये गये हैं। फिर भी आये दिन समाचार पढऩे में आता है कि हजारों बोरे अनाज वर्षा की चपेट में आ गया। इस कारण आज भी दूर-दराज के गांवों में भंडारण के पुराने तरीकों को नहीं बदला जा सका है। जरूरत तो अब केवल इतनी ही है कि भण्डारण के पुराने साधनों में यथा सम्भव कुछ ऐसे परिवर्तन किये जा सकें ताकि कुल मिलाकर अनाज भण्डारण के दौरान होने वाली क्षति पर रोक लगाई जा सके। विशेषकर घुन और चूहों को भंडारित अनाज से दूर रखा जा सके।

वर्तमान में सड़क मार्गों पर शीतगृहों का भी निर्माण होने लगा है। कोल्ड स्टोरेज का उपयोग महंगा हो गया है, इस कारण सभी इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। केवल सब्जियां एवं फलों के भण्डारण के लिए इनकी उपयोगिता है। आलू को विशेषकर शीत भण्डारण की जरूरत रहती है प्याज तथा लहसुन का भण्डारण स्थानीय विधियों में कुछ परिवर्तन करके ग्रामीण स्तर पर भी रखा जा सकता है और खर्च में कमी की जा सकती है। भण्डारण कोठियों में ई.डी.बी. का उपयोग कीटों की रोकथाम के लिए जरूरी होता है। 3 मि.ली. प्रति क्विंटल बीज के हिसाब से इसका उपयोग लाभकारी होता है। उल्लेखनीय है कि किसी भी फसल का उपसंहार उसके सफल भण्डारण में छिपा रहता है। इसके सुखान्त से प्रगति होती है और भविष्य में उपयोग के लिए स्वस्थ बीज उपलब्ध रहता है। इस कारण भण्डारण को पूरी गम्भीरता से लिया जाना चाहिए।

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