जानिए सोयाबीन की फसल बोने से पहले भूमि का चयन एंव कैसे करें तैयारी
14 जून 2023, भोपाल: जानिए सोयाबीन की फसल बोने से पहले भूमि का चयन एंव कैसे करें तैयारी – सोयाबीन मध्यप्रदेश की प्रमुख खरीफ फसल हैं। मध्यप्रदेश के साथ पूरे भारत में तिलहनी फसलों में प्रमुख रूप से सोयाबीन की फसल को मुख्य रूप से किया जाता हैं। सोयाबीन खरीफ में बोई जाती हैं।
वर्तमान में इसकी खेती विभिन्न प्रकार की जमीनों जैसे उथली काली से गहरी काली (मालवा), मध्यम काली (विन्ध्य पठार), गहरी काली (मध्य नर्मदा धाटी), हल्की काली दोमट एवं सिल्टी दोमट (सतपुड़ा पठार) रेतीली दोमट से भारी काली (कैमोर पठार), लाल काली मिश्रित (बुन्देलखण्ड ) मिलवा लाल काली एवं दोमट (गिर्द) एवं उथली काली (निमाड़ धाटी) जमीनों में होती है।
सोयाबीन के लिए भूमि का चयन एवं तैयारी:
1. सोयाबीन अम्लीय क्षारीय तथा रेतीली भूमि को छोड़कर हर प्रकार की मिट्टी में पैदा होती है।
2. सोयाबीन की खेती उन खेतों में ही करें जहां जलभराव की समस्या न हो ।
3. रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिए। गहरी जुताई के बाद 15-30 दिन तक खेत को खाली छोडने देना चाहिए। इससे जमीन के नीचे पाये जाने वाले कीटों एवं भूमि जनित बीमारियों के अवशेष नष्ट हो जाते हैं तथा भूमि की जलधारण क्षमता एवं दशा में सुधार होता है ।
4. गोबर की खाद, कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट तथा सिंगल सुपर फास्फेट को खेत में समान रूप से छिड़कने के बाद बोनी के लिए जुताई करना चाहिए।
5. खेत में जुताई कुछ इस ढ़ंग से करें, जिससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाये एवं खरपतवार नष्ट हो जायें।
6. बुआई के पूर्व खेत के निचले हिस्से में प्रति 20 मीटर अंतराल पर जल निकास नाली का निर्माण अवश्य करें जिससे अधिक वर्षा की दशा में पानी का निकास आसानी से हो सके एवं अवर्षा की दशा में सिंचाई उपलब्ध करा सकें।
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