फसल की खेती (Crop Cultivation)

नवीनतम फसल की खेती (Crop Cultivation) की जानकारी और कृषि पद्धतियों में नवाचार, बुआई का समय, बीज उपचार, खरपतवार नियन्तारन, रोग नियन्तारन, कीटो और संक्रमण से सुरक्षा, बीमरियो का नियन्तारन। गेहू, चना, मूंग, सोयाबीन, धान, मक्का, आलू, कपास, जीरा, अनार, केला, प्याज़, टमाटर की फसल की खेती (Crop Cultivation) की जानकारी और नई किस्मे। गेहू, चना, मूंग, सोयाबीन, धान, मक्का, आलू, कपास, जीरा, अनार, केला, प्याज़, टमाटर की फसल में कीट नियंतरण एवं रोग नियंतरण। सोयाबीन में बीज उपचार कैसे करे, गेहूँ मैं बीज उपचार कैसे करे, धान मैं बीज उपचार कैसे करे, प्याज मैं बीज उपचार कैसे करे, बीज उपचार का सही तरीका। मशरुम की खेती, जिमीकंद की खेती, प्याज़ की उपज कैसे बढ़ाए, औषदि फसलों की खेती, जुकिनी की खेती, ड्रैगन फ्रूट की खेती, बैंगन की खेती, भिंडी की खेती, टमाटर की खेती, गर्मी में मूंग की खेती, आम की खेती, नीबू की खेती, अमरुद की खेती, पूसा अरहर 16 अरहर क़िस्म, स्ट्रॉबेरी की खेती, पपीते की खेती, मटर की खेती, शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स, लहसुन की खेती। मूंग के प्रमुख कीट एवं रोकथाम, सरसों की स्टार 10-15 किस्म स्टार एग्रीसीड्स, अफीम की खेती, अफीम का पत्ता कैसे मिलता है?

राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

अरहर की जल्दी पकने वाली किस्में लगाएं

शाजापुर। कृषि विज्ञान केन्द्र, शाजापुर द्वारा गत दिनों ग्राम बज्जाहेड़ा में  अरहर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. एन.एस. सिकरवार, उपसंचालक पशु पालन, केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी. आर. अम्बावतिया, श्री आर.एस. तोमर,

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खरपतवारों से बचाएं सब्जियां

खरीफ मौसम में रबी मौसम की तुलना में खरपतवारों का प्रकोप अधिक होता है। सब्जियों में उगने वाले खरपतवारों को मुख्यत: चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है। खरपतवारों से हानियां: खरपतवार जहां एक ओर फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके

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सरसों में ओरोबैंकी का प्रबन्धन

ओरोबैंकी:- ओरोबैंकी या आग्या  या बादा या हड्डा (बु्रमरेप) की जातियां पूर्ण रूप से मूल परजीवी होती हैंं। यह विभिन्न फसलों पर आक्रमण करती हैं जिसमें सरसों, बैंगन, टमाटर, तम्बाकू, फूलगोभी, पत्तागोभी, शलजम और कई सोलोनेसी तथा क्रुसीफेरी कुल के

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चने की उन्नत खेती

खेत का चुनाव व तैयारी : मध्यम तथा भारी किस्म की भूमि चने के लिए अधिक उपयुक्त होती है। खेत को तैयार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मध्यम आकर के ढेले अवश्य बुआई के समय रहें। भूमि की

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सरसों में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम)

प्रमुख नाशीजीव ( प्रमुख कीट एवं रोग) चेपा/माहू – यह कीट छोटा, कोमल, सफेद-हरे रंग का होता है। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनों पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसते हैं। यह प्राय: दिसम्बर के अन्त से लेकर

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दलहनी फसलों मेें सिंचाई

चना प्रयोगों द्वारा सिद्ध हो चुका है कि बुआई के 45 दिन (फूल आने के पहले) या 75 दिन के बाद एक सिंचाई करने से चने की उपज 30 से 35 प्रतिशत अधिक होती है। अगर रबी मौसम में सर्दियों

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रबी फसलों में सिंचाई का महत्व

पौधों के लिये जल की आवश्यकता – छोटे बढ़ते हुए पौधों में 85 से 90 प्रतिशत भाग केवल जल ही होता है। जल ही पौधों को कोशिकाओं में विद्यमान जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) का एक आवश्यक अंग है। जीव द्रव्य में जल

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रबी फसलों में बीज का महत्व

मनुस्मृति में कहा गया है –     अक्षेत्रे बीजमुत्सृष्टमन्तरैव विनश्यति।     अबीजकमपि क्षेत्रं केवलं स्थण्डिलं भवत्।।     सुबीजम् सुक्षेत्रे जायते संवर्धते उपरोक्त    श्लोक द्वारा स्पष्ट किया गया है कि अनुपयुक्त भूमि में बीज बोने से बीज नष्ट हो जाते हैं

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आलू में रोग नियंत्रण के उपाय

आलू का अगेती अंगमारी रोग यह रोग आल्टनेरिया सोलेनाइ नामक फफूंद से उत्पन्न होता है। हर वर्ष लगभग सभी खेतों में थोड़े से अधिक मात्रा में पाया जाता है। अधिक प्रकोप हो जाने पर फसल की उपज में 50 –

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उड़द पड़ी सोयाबीन पर भारी

भोपाल। खरीफ फसलों में सर्वोच्च सोयाबीन पर कृषकों का कम रुझान हो गया है। सीजन में सोयाबीन उड़द, मक्का, मूंग, धान फसलों के उत्पादन में उड़द की भरपूर आवक मण्डी में देखी गई। पिछले वर्ष खरीफ में उड़द 1.94 क्विं.

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