Crop Cultivation (फसल की खेती)

रबी फसलों के बीजों का उपचार जरूरी

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6  नवम्बर 2022, भोपाल रबी फसलों के बीजों का उपचार जरूरी –

बीजोपचार

  • चना एवं मसूर आदि में बीजोपचार के लिए फफूंदनाशक (थाइरम 4.5 ग्राम+ कार्बेंडाजिम 1.5 ग्राम) प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करने के बाद जैव उर्वरक राइजोबियम एवं पी.एस.बी. से निवेशित करके करें।
  • गेहूँ के लिए सभी फसलों को बीमारियों से बचाव के लिए बीजोपचार अवश्य करें इसके लिए 2 ग्राम थायरम तथा कार्बेंडाजिम एक ग्राम कुल तीन ग्राम प्रति किलो बीज के मान से उपचार करें। गेहूँ में एजोटोबेक्टर या एजोस्प्रिलम एवं पीएसबी कल्चर 5-5 ग्राम।
  • चना, मसूर, मटर आदि दलहन फसलों में बीज को फफूँदनाशक दवा से उपचारित करने के उपरान्त जैव उर्वरक राइजोबियम कल्चर 2 से 3 ग्राम + पी. एस. बी. कल्चर 5 ग्राम गेहूं आदि में एजोटोबैक्टर 5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचारित कर, उपचारित बीज पर 4 ग्राम अमोनियम मोलिब्डेट प्रति किलो बीज के मान से मिलायें। ध्यान रहे कल्चर का गाढ़ा घोल बीज पर लगायें पानी की मात्रा उतनी ही लें जिससे कल्चर की पतली परत बीज पर चढ़ जाये इसके बाद बीज को छायादार स्थान में सुखाकर बोनी के लिए उपयोग करें। मोलिब्डेनम के उपयोग से चने की बढ़वार अच्छी होती है तथा फसल पौधे बलवान बनते हैं जिससे विपरीत परिस्थिति (पाला आदि) का फसल पर कुछ हद तक प्रभाव कम पड़ता है एवं उपज अधिक मिलती है। बीजोपचार यंत्र या मटके आदि में भरकर उपचारित करें।

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