National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)Crop Cultivation (फसल की खेती)

किसानों को दो साल में मिल सकती है जीएम सरसों

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सरकार करेगी व्यावसायिक अनुमति देने पर फैसला

  • (विशेष प्रतिनिधि)

3 नवम्बर 2022, नई दिल्लीकिसानों को दो साल में मिल सकती है जीएम सरसों – सब कुछ ठीक रहा तो अगले दो सालों में किसान जीएम सरसों की खेती करने लगेंगे। बी.टी. कपास के बीस साल बाद जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों की खेती को मंजूरी मिलने की संभावना बन गई है। जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (जीईएसी) ने गत 18 अक्टूबर, 2022 को हुई 147वीं बैठक में देश में जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी देने की सिफारिश की थी। इन सिफारिशों को सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो इसे व्यावसायिक तरीके से उगाना संभव हो पाएगा। व्यावसायिक अनुमति मिलने पर खाद्य तेलों की आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी तथा देश में सरसों का उत्पादन बढ़ेगा।

जीईएसी ने सरसों की जिस डीएमएच-11 हाइब्रिड किस्म के इनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिश की है उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ दिल्ली कैंपस स्थित सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) ने विकसित किया है। इस टीम का नेतृत्व दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रह चुके प्रो. दीपक पेंटल ने किया। जीईएसी ने कहा है कि मंजूरी पत्र जारी होने की तिथि से 4 वर्षों के लिए जीएम सरसों को जारी करने की सिफारिश की गई है। जीईएसी ने कहा कि डीएमएच-11 संकर किस्म का वाणिज्य उपयोग बीज अधिनियम 1966 और संबंधित नियमों एवं विनियमों पर निर्भर करेगा। डीएमएच-11 किस्म में अहम भूमिका निभाने वाले प्रो. पेंटल ने कहा है कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो दो वर्षों में जीएम सरसों का बीज किसानों को मिल जाएगा।

जीएम सरसों पर रस्साकशी

व्यापक विरोध भी

भारत में जीएम सरसों पर नीतिगत बहस वर्षों से चल रही है। एक ओर जहां केंद्र सरकार जीएम फसलों को अनुमति देकर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करना चाहती है, वहीं इसका व्यापक विरोध भी किया जा रहा है।

विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा है, ‘भारत में जीएम फसल की खेती के किसी भी अनुमोदन का देश के नागरिकों द्वारा कड़ा विरोध किया जाएगा। जीईएसी दूसरी बार जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश की जा रही है, जो पूरी तरह अवैज्ञानिक और गैर जिम्मेदाराना है।
इससे पहले 2017 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली में परीक्षण के इसी तरह की सिफारिश की गई थी, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। जीएम सरसों के साथ ही जीईएसी के सम्मुख एचटीबीटी याने हर्बीसाइड्स टॉलरेंस कॉटन की मंजूरी का प्रस्ताव लंबित है। एचटीबीटी कॉटन को कब मंजूरी मिलती है, यह भविष्य के गर्भ में है।

आयात पर निर्भरता घटेगी

जीएम सरसों की खेती से देश में तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे खाद्य तेलों की आयात निर्भरता को घटाना संभव होगा। भारत में परम्परागत सरसों की विभिन्न प्रजातियों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता के मुकाबले वैश्विक उत्पादकता दुगुनी है। इसी अंतर को पाटने के लिए जीएम टेक्नालॉजी का सहारा लिया जा रहा है। सरसों की वैश्विक उत्पादकता जहां 2000 से 2200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है वहीं घरेलू सरसों की उत्पादकता 1000 से 1200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। देश में कुल तिलहनी फसलों के उत्पादन में सरसों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है, इसकी खेती आमतौर पर असिंचित क्षेत्रों में होती है। देश में 91 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती की जा रही है, वहीं म.प्र. में चालू रबी में 13 लाख हेक्टेयर में सरसों लेने का लक्ष्य रखा गया है।

एक दर्जन जीएम फसलें वेटिंग में

जेनेटिक्स साइंस के वैज्ञानिक डॉ. के.सी. बंसल ने कहा है कि जीएम सरसों के बाद मंजूरी की कतार में लगभग एक दर्जन फसलें हैं। उन्होंने कहा कि कृषि में तकनीकी की सख्त जरूरत है। प्राकृतिक संसाधनों में पानी और जमीन जैसे मूलभूत तत्वों की अपनी सीमाएं हैं, उनके सीमित उपयोग से उत्पादकता बढ़ाने के लिए जीएम तकनीक ही एकमात्र साधन है।

कृषि वैज्ञानिकों ने किया स्वागत

जीएम सरसों को जीईएसी द्वारा परीक्षण की अनुमति मिलने पर कृषि वैज्ञानिकों ने स्वागत करते हुए कहा है कि इस नई तकनीक से सरसों का उत्पादन बढ़ेगा। आईसीएआर ने कहा है कि जीएम सरसों हाईब्रिड डीएमएच-11 में सरसों की उत्पादकता सुधारने की क्षमता है। बायोटेक्नालॉजी विभाग के तहत कार्य करने वाले नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट ने इसे मील का पत्थर बताया। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. परोदा एवं नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और अर्थशाी श्री अरविन्द पनगडिय़ा ने भी मंजूरी को सराहनीय बताया।

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दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और डीएमएच-11 में अहम भूमिका निभाने वाले प्रो. दीपक पेंटल ने कहा हमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से आयोजित परीक्षणों के साथ मिलकर परीक्षण करने को कहा गया है। लेकिन आदर्श रूप में हमें प्रयोगशालाओं और कंपनियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, ताकि नई संकर किस्में विकसित की जा सकें। उन्होंने बताया कि ज्यादा फील्ड ट्रायल की जरूरत नहीं है। अब हाइब्रिड को कुछ निश्चित शर्तों के तहत सामान्य इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है। मुझे लगता है कि मंजूरी का मतलब है कि इसका वाणिज्यीकरण, विविधीकरण किया जा सकता है और इच्छित रूप से इसका इस्तेमाल हो सकता है। अगर हम आज को शुरुआत के रूप में देखें और आगे कोई व्यवधान न आए तो भारतीय किसानों को दो साल में जीएम आधारित हाइब्रिड सरसों मिल जाएगा।

स्वदेशी जागरण मंच का विरोध

जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों की किस्म को एनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिश करने पर स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने इसे ‘खतरनाक’ बताते हुए सरकार से आग्रह किया कि जीएम बीज से खेती की अनुमति नहीं दे। साथ ही मंच ने इस दावे को झूठा बताया कि जीएम सरसों की किस्म देश में विकसित की है।

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