Uncategorized

यूके की बरमिंघम यूनिवर्सिटी में शोध – डेयरी गायों में थनैला का परीक्षण

Share

बर्मिंघम विश्वविद्यालय बायो इनक्यूबेटर विभाग में एबिंगडन हेल्थ संस्था द्वारा दुधारू गायों में एक आम परंतु गंभीर स्वास्थ्य समस्या, बोवाइन मास्टिटिस के लिये तेजी से निदान परीक्षण विकसित किया जा रहा है। इस थनैला रोग के निदान से वैश्विक डेयरी उद्योग पर 14-23 अरब डॉलर का अनुमानित प्रभाव पड़ेगा।
मास्टिटिस आमतौर पर गाय की टीट्स या थनों में जीवाणु संक्रमण के कारण होता है, और दूध की गुणवत्ता को यह कम करता है, और गाय के लिए घातक भी हो सकता है। यह भारत में डेयरी किसानों के लिये एक बड़ी समस्या है जहां 4 करोड़ 36 लाख दुधारी गाय है जो वैश्विक डेयरी गाय की आबादी का 16.5 प्रतिशत हैं।
वर्तमान में दूध का निरीक्षण कर ही मास्टिटिस का पता लगाया जाता है, और संक्रमण के प्रकार को प्रयोगशाला परीक्षण के लिये भेजकर पुष्टि की जाती है- जो विधि समय लेने वाली और खर्चीली दोनों है।
मास्टिटिस के लिये एबिंगडन का नैदानिक परीक्षण लेटरल तकनीक पर आधारित होगा जिसका उपयोग पशुशाला में किया जा सकता है, ताकि बैक्टीरिया की पहचान हो सके।
परीक्षण के नतीजे यह सुनिश्चित करेंगे कि गाय को जल्दी से संक्रमण के इलाज के लिये सही एंटीबायोटिक दिया जाय। और यह उम्मीद की जाती है कि इससे एंटीबायोटिक्स के अनुचित उपयोग को कम किया जा सकेगा और अन्य दुधारू मवेशियों के बीच बीमारी फैलने से रोका जा सकेगा। एबिंगडन हेल्थ लिमिटेड के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. डेविड प्रिचर्ड के अनुसार, खाद्य उत्पादन में एंटीमाइक्रोबायल्स के उपयोग को कम करने का दबाव तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा करने के लिये, हमें किसानों को तेजी से निदान परीक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे सही एंटीबायोटिक के साथ पशुओं को जल्दी और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाए। हम यह भी मानते हैं कि यह परीक्षण दूध की गुणवत्ता और उत्पादन और पशुओं के साथ डेयरी उद्योग को लाभ पहुंचाएगा।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *