Uncategorized

मूंगफली में कीट नियंत्रण

  • डॉ. निरंजन कुमार बरोड
  • डॉ. राम गोपाल सामोता

केन्द्रीय कपास अनु. केंद्र, क्षेत्रीय स्टेशन, सिरसा, Email-nijubarod@gmail.com
Mob.: 8901058403

कीट नियंत्रण –

Advertisement
Advertisement

माहू – सामान्य रूप से छोटे-छोटे भूरे रंग के कीड़े होते हैं तथा बहुत बड़ी संख्या में एकत्र होकर पौधों के रस को चूसते हैं। साथ ही वाइरस जनित रोग के फैलाने में सहायक भी होते हैं। ये अपने शरीर से चिपचिपा पदार्थ निकालते हैं जिसके कारण काली फफूंद उग जाती हैं जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को भंग करती हैं।

प्रबंधन –

Advertisement8
Advertisement
  • मूंगफली की बुवाई समय पर करें।
  • शुरू के ग्रसित भागों को तोड़कर नष्ट करें।
  • चिपचिपे पीले ट्रेप का उपयोग करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 1 मि.ली. को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए या डाइमिथिएट 30 ई.सी. का 1-1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना उत्तम रहता हैं।सफेद लट – मूंगफली की फसल को सर्वाधिक क्षति पहुंचाने वाला कीट हैं। यह बहुभक्षी कीट  हैं इस कीट की ग्रब अवस्था ही फसल को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। लट मुख्य रूप से जड़ों एवं पत्तियों को खाती हैं जिसके फलस्वरूप पौधे सूख जाते हैं। मादा कीट मई-जून के महीने में जमीन के अंदर अंडे देती हैं। इनमें से 8-10 दिनों के बाद लट निकल आते हैं। और इस अवस्था में जुलाई से सितम्बर – अक्टूबर तक बने रहते हैं। शीतकाल में लट जमीन में नीचे चले जाते हैं और प्यूपा फिर गर्मी व बरसात के साथ ऊपर आने लगते हैं।

प्रबंधन –

Advertisement8
Advertisement
  • ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें।
  • प्रकाश प्रपंच का उपयोग करें।
  • फोरेट 10 जी का 25 किलोग्राम के हिसाब से भूमि उपचारित करें।
  • क्लोरोपायरीफॉस से बीजोपचार प्रारंभिक अवस्था में पौधों को सफेद लट से बचाता हैं।
  • अधिक प्रकोप होने पर खेत में क्लोरोपायरीफॉस का प्रयोग करें।

बालों वाली सुंडियां – बालों वाली सुंडियां पत्तियों को खाकर पौधों की पत्तियों को छलनी कर देता हैं। पूर्ण विकसित इल्लियों पर घने भूरे बाल होते हैं। यदि इसका आक्रमण शुरू होते ही इनकी रोकथाम न की जाये तो इनसे फसल की बहुत बड़ी क्षति हो सकती हैं। इसकी रोकथाम के लिये आवश्यक हैं कि खेत में इस कीड़े के दिखते ही इसके अंडों को व छोटे-छोटे इल्लियों से लदे पौधों को काटकर या तो जमीन में दबा दिया जाय या फिर उन्हें घास-फूस के साथ जला दिया जाये।

प्रबंधन –

  • ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें।
  • प्रकाश प्रपंच का उपयोग करें।
  • खेत के आसपास के इलाके को खरपतवार मुक्त रखें।
  • क्विनालफॉस 1 लीटर कीटनाशी दवा को 700-800 लीटर पानी में घोल बना प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

लीफ माइनर – लीफ माइनर के प्रकोप होने पर पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे दिखाई पडऩे लगते हैं। इसके गिडार पत्तियों में अंदर ही अंदर हरे भाग को खाते रहते हैं और पत्तियों पर सफेद धारियां सी बन जाती हैं। इसका प्यूपा भूरे लाल रंग का होता हैं इससे फसल को काफी हानि हो सकती हैं। मादा कीट छोटे तथा चमकीले रंग के होते हैं मुलायम तनों पर अंडा       देती हैं।

  • इसकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मि.ली. का 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें।दीमक – दीमक एक छोटा कीट हैं यह कीट बहुत सक्रिय होता हैं दीमक पौधों की जड़ों को काटकर नुकसान करती हैं तथा सूखी जगह में दीमक का प्रकोप बढ़ जाता हैं।

प्रबंधन –

  • सड़ी हुई गोबर खाद का इस्तेमाल करें।
  • फसल की समय पर सिंचाई करें।
  • क्लोरोपायरीफॉस से बीजोपचार करें।
  • क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. का 3-4 लीटर सूखी बालू में मिलाकर छिड़काव करें।
Advertisements
Advertisement5
Advertisement