कृविके द्वारा अजोला उत्पादन पर प्रशिक्षण
पन्ना। कृृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डा. बी.एस.किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख द्वारा विगत दिवस ग्राम सुनहरा, वि.ख. पन्ना में दुधारु पशुओं के लिये अजोला उत्पादन पर प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में कृृषक शशिकान्त दीक्षित के घर पर कृृृषकों द्वारा ही स्वयं अजोला उत्पादन की प्रयोगिक विधि से पूरी प्रक्रिया करके सीखी, अजोला उत्पादन हेतु एक पक्का या कच्चा टांका 2&2 मी. तथा गहराई 20 सेमी. के आकार का बनाये तथा कच्चे टांका में प्लास्टिक पॉलीथिन विछाकर 10 सेमी. पानी भरें तथा उसमें 12-15 कि.ग्रा. दोमट मिट्टी, 2 कि.ग्रा. कच्चा गोबर और 30 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट को घोल कर डाल देें उसके बाद अजोला कल्चर 1 कि.ग्रा. पूरे टांके में बिखेर देें अजोला पशुओं एवं मुर्गियों के लिये सस्ता, स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से भरपूर आहार है। इसमें 30-35 प्रतिशत प्रोटीन, 10-12 प्रतिशत एमीनो अम्ल एवं विटामिन बी आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। इसको 1-1.5 कि.ग्रा. प्रतिदिन दुधारु पशुओं को खिलाने से लगभग 20 प्रतिशत तक दूध बढ़ जाता है।
इसके उत्पादन में ध्यान देना है कि प्रति सप्ताह टांके का 25 प्रतिशत पानी बदलें और 1 कि.ग्रा. कच्चा गोबर व 25 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का घोल अवश्य डालें। अधिक तापक्रम से बचाने हेतु टांका पेड़ की छाया में या फिर टांका के ऊपर घास फूस डालकर छप्पर बना दें।