किसानों से संवाद एक सार्थक पहल
( सुनील गंगराडे )
वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने के लिये दिल्ली से दलौदा तक सरकारें जुटी हुई हैं और कसमें खा रही हैं, पर हासिल कुछ अर्थपूर्ण नहीं हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी हाल ही में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद प्रखर और मुखर तरीके से सरकार को विरोध, प्रतिरोध, अवरोध का सामना करना पड़ रहा है।
इन सारी प्रतिकूलताओं के बावजूद मध्यप्रदेश कृषि विभाग किसानों की बेहतरी के लिए नित नए प्रयास कर रहा हैं।… प्रधानमंत्री फसल बीमा में किसानों को 1818 करोड़ रुपए का दावा वितरण पीडि़त किसानों को जरूर मरहम देगा। किसानों को उनकी फसल की सही कीमत दिलाने वाली सरकार की भावांतर भुगतान योजना कितनी सफल होगी, यह भविष्य के गर्भ में है। पर किसानों की दशा, दिशा, सुधारने वाले सरकार के इन प्रयासों की गंभीरता और मैदानी अमले की कार्यकुशलता और ईमानदारी पर यह निर्भर होगा. अन्यथा पिछले दिनों उत्पादन से अधिक प्याज खरीदी, मूंग-उड़द की फर्जी आवक की भंवर में भावांतर भुगतान योजना गोता लगा सकती है। प्रेक्षकों का यह निष्कर्ष है कि खेती में ऐसी सुनिश्चित आय की गारंटी किसानों की उद्यमशीलता को चोट पहुंचाने के साथ ठिठका सकती है। याने ‘सबके’ दाता राम तो काहे करें हम काम। इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए किसान-किसानी की बेहतरी के लिये इससे जुड़े सभी वर्गों को ‘इंटीग्रेटेड’ अप्रोच रखना होगी।
मध्यप्रदेश कृषि विभाग ने आगामी 1 माह में प्रदेश के 313 विकासखंडों पर किसान सम्मेलनों का आगाज किया है और सरकार का प्रयास है कि यह केवल कर्मकांड बनकर न रह जाए। इन सम्मेलनों में किसानों, कृषि विशेषज्ञों के मध्य ‘संवाद’ पर जोर रहेगा, जो श्रेष्ठ प्रयास है। पर सम्मेलनों में उपस्थित मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारीगण भी इन आयोजनों में ‘मोनोलॉग’ न कर ‘डायलॉग’ करेंगे तो यह श्रेष्ठतम होगा और किसानों की भावनाओं की अनुगूंज सरकार को सुगम संगीत लगेगी, और शिवराज सरकार के लिए इवीएम या बैलट बॉक्स में नगाड़ों में प्रतिध्वनित होगी। उम्मीद है इन आयोजनों में खेती की लागत, किसान की लागत, बाजार की हकीकत समझने और समझाने की कवायद होगी। इन वैचारिक और प्रायोगिक मैराथन मंथनों से सुविचारित परिणाम का अमृत कलश ही छलकेगा, जिसकी अमिय बूंदे जब किसानों के खेतों में गिरेंगी तो उत्पादकता में इजाफा, गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी लागत में कमी और मुनाफे में वृद्धि होगी। आमीन!