बिन पशुपालक पशुधन में सुधार सम्भव नहीं
किसानों की आय अगले पांच वर्ष में दुगनी करने के उद्देश्य में पशुपालन एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। गत एक अगस्त को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में भारत सरकार के कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री श्री सुदर्शन भगत ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में देश के दूध के उत्पादन में 6.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले दस वर्षों में दूध के उत्पादन में प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गयी है। 2012 में पशुधन पर किये गये सर्वे के अनुसार देश में 379.2 लाख देशी गायें थीं। जबकि इनकी वर्ष 2007 में संख्या मात्र 237.8 लाख थी। पिछले पांच वर्षो ंमें देशी गायों की संख्या में 141.4 लाख की वृद्धि कोई साधारण वृद्धि नहीं है और यह देश के किसानों का देशी गायों के प्रति उनके लगाव को भी दर्शाता है। देशी गायों को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार ने राज्य सरकारों तथा संबंधित व्यक्तियों से विचार-विमर्श कर चार योजनायें आरंभ की हैं। जो राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गौजातीय उत्पादकता का राष्ट्रीय मिशन, राष्ट्रीय दुग्धशाला योजना-1 तथा जाति सुधार संस्थान के नाम से जानी जाती हैं।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन दिसम्बर 2014 में आरंभ किया गया था। इसका उद्देश्य देशी गौजातीय नस्लों का संरक्षण करना है जिससे उनसे दूध का उत्पादन तथा इन नस्लों की उत्पादकता बढ़ाई जा सके। इसके अन्तर्गत अच्छे अनुवांशिक सांडों को बनाना भी है जिनसे वीर्य का उत्पादन हो सके। इसके लिए साडों के फार्म आरंभ किये गये हैं तथा योजना की सफलता के लिये गोकुल ग्राम भी स्थापित किये गये हैं। गोजातीय उत्पादकता मिशन को अंर्तगत दुधारू गायों की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हंै। इसके लिये अच्छे अनुवांशिक सांडों के वीर्य से गांवों की देशी गायों में कृत्रिम गर्भाधान की बहुउद्देश्य तकनीक अपनायी जा रही है। इसके लिए वर्तमान में उपलब्ध कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की सामर्थ को बढ़ाया जा रहा है। यह योजना पिछले वर्ष नवम्बर 2016 में ही आरंभ की गई है। इस योजना में पशुओं के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जायेगा और सभी दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य कार्ड बनाने की भी योजना है। भारत सरकार देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु अभिजनन केन्द्र भी खोलने जा रही है। उत्तर भारत के गायों के लिये यह केंद्र मध्यप्रदेश में स्थापित किया जा रहा है और दक्षिण भारत के लिए यह केन्द्र आंध्र प्रदेश में होगा। इन केन्द्रों का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक विधि से देशी गायों का विकास तथा संरक्षण होगा, जिससे उत्पादकता तथा उत्पादन में वृद्धि की जा सके। राष्ट्रीय दुग्धशाला योजना-1 के लिए विश्व बैंक से सहायता ली जा रही है। यह योजना देश के 18 राज्यों में आरंभ की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य देश में बढ़ती दूध की मांग को गायों की उत्पादकता बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाने की है। इस योजना के अंतर्गत वीर्य केन्द्रों, सांडों की संख्या बढ़ाने तथा पशु आहार पर ध्यान दिया जायेगा।
इस योजनाओं की सार्थकता में कोई प्रश्न चिन्ह नहीं है परंतु इनके कार्यान्वयन की कड़ी में कहीं भी शिथिलता आने पर यह योजना का परिणाम भी पिछले योजनाओं की तरह हो जायेगा। इस योजना की सबसे प्रमुख कड़ी पशुपालक है। उनके सहयोग के बिना योजना का सफल होना संभव नहीं है। पशुपालकों की इन योजनाओं में भागीदारी से ही इनके उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है जिसके लिये सार्थक प्रयास करने होंगे।