देश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा
एसोचैम का राष्ट्रीय सम्मेलन
नई दिल्ली। कृषि में रसायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध उपयोग चिंता का विषय है और पर्यावरण, सामाजिक-आर्थिक एवं उत्पादन के मोर्चों पर इसके व्यापक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इस ओर सरकार का ध्यान गया है। यह बात कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने नई दिल्ली में जैविक खेती पर आयोजित एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि भारत परम्परागत रूप से विश्व में जैविक खेती करने वाला सबसे बड़ा देश है। भारत के अनेक हिस्सों में जैविक खेती पहले से ही परम्परागत ज्ञान के आधार पर की जा रही है। सरकार भारत को कृषि क्षेत्र में आधुनिकता के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है और वह नई प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करना चाहती है। उन्होंने कहा कि उत्पादन में सतत वृद्धि के लिए सरकार प्राथमिकता के आधार पर जैविक खेती को बढ़ावा देती रही है। श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री का मिशन है कि ‘हरित क्रांति’ की तर्ज पर भारत में सफल ‘जैविक खेती क्रांति’ सुनिश्चित की जाए, ताकि कृषक समुदाय इससे लाभान्वित हों। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए लगभग 23 लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए उपयुक्त बनाया गया है। इसी तरह सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की है जिसके तहत दो लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए उपयुक्त बनाया गया है और इस तरह से पांच लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।