तुलसी उगाने के तरीके व उपयोगिता
भूमि की तैयारी – तुलसी की खेती में एक माह पूर्व 200 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालते हैं। और अच्छी जुताई के साथ नत्रजन, फास्फारेस तथा पोटाश की मात्रा का भी प्रयोग करें। तुलसी की रोपाई के 20 दिन बाद अच्छी नमी के साथ 40 किग्रा. यूरिया दें और लगातार 2 से 3 बार यूरिया का छिड़काव करें। इसकी खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है।
तुलसी भारत में एक सर्वश्रेष्ठ पौधा है। यह प्राचीन समय से एक पवित्र पौधा माना जाता है क्योंकि हर घर में इसकी पूजा होती है। यह औषधिये महत्व के कारण रोगों के उपचार में उपयोग होता है। आज तुलसी का उत्पादन मेें किसान भाइयों को बहुत कम खर्चे पर भी लाभ हो सकता है। सामान्य दिनों में तुलसी का पत्ता 25 से 35 रूपये किलो बिकता है। लेकिन अब ठण्ड के दिनों में इसकी कीमत चार-गुना बढ़ जाती है। |
जलवायु – तुलसी का अच्छा उत्पादन गर्मी के मौसम में होता है।
पौधों का रोपण –
नर्सरी में पौधा रोपाई- एक एकड़ के लिए किस्म 100 से 150 ग्राम बीज लेकर नर्सरी लगाई जाती है तथा एक एकड़ में 10 से 15 क्यारियां तुलसी का पौधा प्र्याप्त होता है। तुलसी की कतार से कतार 30 सेमी. तथा पौधे से पौधे 15 सेमी. दूरी होनी चाहिये।
शाखाओं के द्वारा – तुलसी के पौधे की 10 से 15 टहनियों को काटकर जमीन में खड़ा खोदकर लग देते है। और भूमि को नमी बनाये रखने के साथ खाद व खनिज पदार्थ से भी डालें।
खाद प्रबंधन – तुलसी उत्पादन के लिए गोबर खाद के रूप में किया जाता है। जिससे कम खर्च से अधिक उत्पादन मिलें
तुलसी की सिंचाई – तुलसी को गर्मी व वर्षा में हल्की सिंचाई की जरूरत होती है।
उत्पादन – पहली बार एक हेक्टेयर में 400 क्ंिवटल और 2 से 3 बार कटाई के बाद 700 क्ंिवटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त होता है।
तुलसी की उपयोगिता
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- वर्षा गुप्ता
- संतरा हरितवाल
- नरेंद्र सिंह
- एस. के. डोटासरा
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