कृषि महाविद्यालय की जमीन पर कोर्ट बनाने की कवायद
वर्तमान कृषि महाविद्यालय वर्ष 1924 में इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट इन्डस्ट्री (आईपीआई) के नाम से जाना जाता था। विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर अलबर्ट हावर्ड ने संपूर्ण मालवा का सर्वे करके इस भूखण्ड को भूमि के गुण एवं उर्वरता के आधार पर कृषक हित में कृषि संस्थान के लिए चिन्हित किया था जिसे आईपीआई का नाम दिया गया। इसी संस्थान में वर्ष 1925-26 से वर्ष 1948-49 तक ब्रिटिश वैज्ञानिकों के द्वारा कृषि अनुसंधान एवं विकास कार्य किए गए। उन्होंने जैविक खाद बनाने की अद्भुत विधि विकसित की थी, जिसे इन्दौर मेथड ऑफ कम्पोस्ट मेकिंग नाम से विश्व में पहचान दी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 23 अप्रैल 1935 को उनके इन्दौर आगमन पर न केवल इन्दौर कम्पोस्ट विधि की प्रशंसा की अपितु उन्होंने कम्पोस्ट खाद विधि एवं पौधरोपण के कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषकों को जैविक खाद बनाकर खेतों में उपयोग करने हेतु सलाह दी।
मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद 1959 से यह संस्थान कृषि महाविद्यालय इन्दौर के नाम से कृषि अनुसंधान एवं प्रसार के अतिरिक्त कृषि शिक्षण में भी अपना योगदान दे रहा है। वर्ष 1964 से जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत एवं वर्ष 2008 से राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय ग्वालियर के अंतर्गत यह महाविद्यालय कृषि अनुसंधान, शिक्षण एवं विस्तार के क्षेत्र में कार्य करते हुए अग्रसर है। एक तरफ तो केन्द्र व राज्य सरकार किसानों एवं कृषि विकास के लिए नित नई योजनाएं बना रही है, कृषि वैज्ञानिकों से निरंतर अनुसंधान व नई किस्मों के विकास पर जोर दिया जा रहा है, नये कृषि अनुसंधान केन्द्र, कृषि शैक्षणिक केन्द्र की महती आवश्यकता महसूस की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन का यह निर्णय इस ऐतिहासिक कृषि संस्थान को जड़ से उखाडऩे वाला साबित होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने कई अवसरों पर कृषि क्षेत्र के प्रति अपनी प्राथमिकता को दृढ़ संकल्प के साथ प्रस्तुत किया है। प्रदेश की उच्च स्तरीय प्रशासनिक बैठकों में भी कृषि विकास एवं किसान कल्याण की नीति में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त न करने की चेतावनी देते रहते हैं। परन्तु उनकी वर्तमान कृषि नीति को पलीता लगाने वाला इन्दौर जिला प्रशासन का यह निर्णय प्रदेश की कृषि नीति का भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। अलुमनी एसोसिएशन कृषि महाविद्यालय इन्दौर के अध्यक्ष श्री अखिलेश सराफ ने कृषि क्षेत्र के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार से अपील की है कि वह इस निर्णय पर रोक लगायें। वर्तमान एवं पूर्व छात्र, शिक्षक, पर्यावरणविद्, भारतीय किसान संघ, कृषक सभी आंदोलन की राह पर हंंै। इन्दौर में मानव श्रृंखला बनाकर इस निर्णय का विरोध प्रकट किये जाने की भी योजना है।