किसान धारबाड़ विधि से तुअर लगाएं : श्री गुप्ता
टीकमगढ़। उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री आरएस गुप्ता ने बताया है कि टीकमगढ़ जिले में तुअर की औसत उत्पादकता 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ है। परंतु धारबाड़ पद्धति से तुअर बुआई करने से औसत उत्पादकता 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त की जा सकती है। किसान भाई धारबाड़ विधि से तुअर लगाकर अधिक से अधिक उत्पादन ले सकते है।फसल चक्र में सम्मिलित करने से भूमि की उर्वरकता बनी रहती है, साथ ही कम पानी तथा कम जोखिम ज्यादा से ज्यादा आय प्राप्त की जा सकती है। धारबाड़ पद्धति से बीज 2 किग्रा प्रति एकड़ तथा पोलीबैग 2-2 दाने डिबलिंग किये जाते है। पौधा रोपण के 20-25 दिन बार शीर्ष कलीकाओं को तोड़ दिया जाता है। तब शीर्ष कलीका के तोडऩे के 20-25 दिन बाद शाखाओं की कलिकाओं को तोड़ते है। इस दौरान पौध को एक डीएपी, एमओपी, 2 बैग जिप्सम, 8 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति पौधा दिया जाता है। पौधा रोपण कतार की दूरी 5 फीट एवं पौधे से पौधे की दूरी 3 फीट रखी जाती है। इस प्रकार एक एकड़ में 3000 हजार लगाये जाते है। फसल की शाखा एवं फल्ली अवस्था में पानी देने से उत्पादन में बृद्धि होती है। रोपाई के 20 दिन बाद एक-एक छिड़काव 1500 पीपीएम नीम तेल का छिड़काव (4 बार) करें। जिससे रसचूसक कीडे की रोकथाम की जा सके। फूल एवं फल्ली की अवस्था में ट्राजजोफॉस, क्यूनालफास 40 एमएल प्रति पंप का छिड़काव करने फल्लीछेदक इल्ली से बचाया जा सकता है। इस प्रकार यह विधि अपनाने से कम से कम 12 क्विंटल और अधिक 15 से 16 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त की जा सकती है।
धारबाड़ विधि से तुअर उत्पादन हेतु समय सारिणी: उन्होंने बताया कि धारवाड़ विधि से बीज की बुआई उचित किस्मों का (राजीव लोचन, आशा) चयन कर बाविस्टिन, मेन्कोजेब 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित का बीज बोने से रायजोबियम, पीएसबी कल्चर का उपयोग करें। एक से 5 मई की बीच पॉलीबैग में डिबलिंग विधि बीज की बुआई करें। 25 से 30 मई के बीच में पौधा रोपण 5 3 अथवा 5 4 फीट की बोरी पर बीज की बुआई करे। रोपाई की 20 से 25 जून के बीच शीर्ष कलिकाओं को तोडऩा एवं 20 जुलाई के आस-पास शाखाओं व कलिकाओं को तोडऩा।
किसान पंजीयन हेतु यह करें
किसान धारबाड़ पद्धति से तुअर उत्पादन के लिये कृषि विस्तर अधिकारी/वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करें। किसान स्वयं भी अपना नाम, ग्राम का नाम, तुआर लाने का क्षेत्र पंजीयन करा सकते हैं। किसान अपने पंजीयन करवायें ताकि बीज की व्यवस्था की जा सके।