सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक सलाह
सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक सलाह
सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक सलाह
25 जून 2020, इंदौर। सोयाबीन कृषकों को साप्ताहिक सलाह – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान , इंदौर ने 22 से 28 जून की समयावधि के लिए सोयाबीन किसानों को कोरोना के चलते आवश्यक सावधानियां बरतने जैसे खेती का कार्य करते समय 4 से अधिक व्यक्तियों को इकट्ठा न करने ,दो मीटर की दूरी बनाए रखने,बुखार अथवा सर्दी खांसी से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह देने,अपने चेहरे पर मास्क /गमछा /रुमाल या कपड़ा लगाने ,हाथों में मोज़े पहनने , मादक पदार्थ और तम्बाकू का सेवन न करने के साथ ही 20 सेकंड तक अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धोने की सलाह दी है.
बोवनी का समय : साधारणतया सोयाबीन की बोवनी जून के तीसरे सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह तक करना उपयुक्त रहता है.इसलिए किसानों को सलाह है कि उगी हुई फसल को नमी से बचाने के लिए 4 इंच वर्षा होने के बाद ही बोवनी करें .
सोयाबीन प्रजातियों की विविधता :उत्पादन में स्थिरता और जैविक / अजैविक तनावों से बचाव के लिए किसानों को सलाह है कि विभिन्न समयावधि में पकने वाली 2 -3 सोयाबीन प्रजातियों की बोवनी करें
खेत की तैयारी : आखिरी बखरनी से पहले गोबर की खाद ( 10 टन /हे.) या मुर्गी की खाद ढाई टन /हे.की दर से खेत में कल्टीवेटर या पाटा चलाकर खेत तैयार करें
बोवनी : सोयाबीन की बोवनी बीबीएफ (चौड़ी क्यारी पद्धति ) या रिज फरौ (कूड़- मेड़ पद्धति) से ही करें , ताकि सूखे या अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित न हो .इन मशीनों के अभाव में अन्य उपलब्ध सीड ड्रिल से भी बोवनी कर सकते हैं .बोवनी के बाद तुरंत अपनी सुविधा अनुसार नालियां बनाएं, ताकि अतिरिक्त पानी की निकासी के साथ सूखे की स्थिति में जल संचय की व्यवस्था हो सके.
कतारों की दूरी एवं बीज दर : सोयाबीन की बोवनी हेतु 45 से.मी. कतारों की दूरी पर तथा न्यूनतम 70 % अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर (55 से 75 किग्रा./हे. का उपयोग करें.
खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग : सोयाबीन के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों 25 :60 :40 :20 नत्रजन:स्फुर: पोटाश : सल्फर की पूर्ति के लिए उर्वरकों का संतुलित मात्रा में बोवनी के समय प्रयोग करें. इसके लिए सीड कम फर्टीड्रिल का प्रयोग किया जा सकता है.
बीज उपचार : सोयाबीन की बोवनी करते समय अनुशंसित फफूंदनाशक /कीटनाशक /जैविक कल्चर से बीज उपचार करना अत्यंत आवश्यक है .इसके लिए अनुशंसित फफूंदनाशक जैसे पेन्फ्लूफेन +ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन (1 मि.ली./किग्रा.बीज अथवा थायरम +कार्बोक्सीन (3 ग्राम /किग्रा.बीज ) अथवा थायरम +कार्बेनडाजिम (2 :1 ) 3 ग्राम/ किग्रा. बीज अथवा जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम/किग्रा.बीज के साथ ही जैविक कल्चर ब्रेडीराइज़ोबियम जपोनिकम एवं स्फुर घोलक जीवाणु (पीएसएम ) दोनों प्रत्येक 5 ग्राम बीज की दर से टीकाकरण करने की भी अनुशंसा की जाती है .
पीला मोजाइक पर नियंत्रण : इस बीमारी की रोकथाम के लिए अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ.एस ( 10 मि.ली./किग्रा.बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. (1.2 मि.ली/ किग्रा. बीज से बीजोपचार करें. सफ़ेद सुंडी (व्हाइट ग्रब) को नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल या फिरोमेन ट्रैप का प्रयोग करें .
खरपतवार नियंत्रण : सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन के लिए डोरा/कुल्पा /हाथ की निंदाई /खरपतवारनाशक का प्रयोग करें .जिन किसानों ने जून के पहले सप्ताह में बोवनी की है ,उन्हें सलाह है कि सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन हेतु अनुशंसित विधि/खरपतवारनाशक का चयन कर उचित प्रबंधन करें.वर्षा के अभाव में फसल को बचाने के लिए सुविधानुसार सिंचाई का प्रबंध करें .