State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन की बीमारियों का प्रबंधन विषय पर वेबिनार आयोजित

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भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा

7 जून 2021, इंदौरसोयाबीन की बीमारियों का प्रबंधन विषय पर वेबिनार आयोजित – भा.कृ .अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा आयोजित किये जा रहे वेबिनारों  की श्रृंखला में, ‘जलवायु परिवर्तन के दौर में सोयाबीन की बीमारियों का प्रबंधन’ विषय पर वेबिनार आयोजित  किया गया, जिसमें  महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं बिहार के किसानों समेत लगभग 82 प्रतिभागियों ने भाग लिया ।  विशेष वक्ता भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान इंदौर के डॉ लक्ष्मण सिंह राजपूत (वैज्ञानिक-पादप रोग) थे।

अपने व्याख्यान में  डॉ लक्ष्मण सिंह राजपूत ने  किसानों द्वारा उगाई जाने वाली सोयाबीन की फसल में राज्यवार मुख्य रूप से लगने वाली बीमारियों तथा उनकी कैसे पहचान की जाए इस बाबत जानकारी देते हुए कहा कि यदि बीमारी की सही पहचान न हो तो नियंत्रण में गलतियां होने से फसल उत्पादन में नुकसान होता है। उन्होंने यह खुलासा भी किया कि सोयाबीन के पौधों का हर पीला पत्ता, पीले मोज़ेक की वायरस जनित बीमारी के कारण नही होता, बल्कि कभी-कभी अतिवर्षा के कारण भी सोयाबीन की पत्तियां पीली हो जाती है जिसे हम बीमारी मान लेते हैं।

डॉ. लक्ष्मण ने कहा कि  विगत 2-3 वर्षों से सोयाबीन में एन्थ्राक्नोस या फली झुलसन नामक बीमारी का प्रकोप देखा जा रहा है जिसके कारण सोयाबीन की पैदावार में काफी नुकसान देखा गया है ।  उन्होंने सर्वाधिक क्षेत्र में बोई जाने वाली सोयाबीन की किस्म जे.एस. 95-60 के बारे में कहा कि यह किस्म फली झुलसनबीमारी के लिए पूरी तरह संवेदनशील है | वर्तमान में यह बीमारी मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर फ़ैल गई  है,इसलिए हमें दूसरी किस्मों को भी उगाना चाहिए, ताकि इस बीमारी से फसल में होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।  

उन्होंने सुझाया कि सोयाबीन की अन्य किस्में जैसे जे.एस. 20-69 और जे.एस. 20-98 इन बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है, अतः इन किस्मों को खेती में शामिल करेंगे तो खेती लाभदायक होगी। इसके उपरांत उन्होंने पीलामोज़ेक वायरस को फैलानी वाली सफ़ेद मक्खी को नियंत्रित किये जाने वाले सभी उपायों पर भी चर्चाके साथ ही पीले मोज़ेक रोग के साथ-साथ फली झुलसन, मायरोथिसियम लीफ स्पॉट एवं राय्ज़ोक्टोनिया एरीअल ब्लाईट जैसे रोगों के लक्षणों को विस्तार से बताया एवं उनका  प्रबंधन कैसे किया जाए  इस पर चर्चा की ।  कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान की निदेशक, डॉ. नीता खांडेकर ने की तथा इस वेबिनार की समन्वयक डॉ पूनम कुचलन द्वारा सभी संबंधितों  को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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