उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन घटने से चीनी की कीमतों पर असर पड़ना तय
29 दिसम्बर 2023, बिजनौर: उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन घटने से चीनी की कीमतों पर असर पड़ना तय – खराब मौसम और पौधों की बीमारियों के कारण इस साल गन्ना उत्पादन में 15 से 20% की गिरावट के कारण यूपी में चीनी की कीमतें बढ़ सकती हैं।
उत्तरप्रदेश में इस साल गन्ना के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण खराब मौसम हैं। बारिश के कारण गन्ना फसल पर प्रतिकूल असर पड़ा हैं। इसके अलावा गन्ना फसल में बीमारी का प्रकोप भी देखा गया हैं। कुछ हिस्सों में बीमारी का असर कम हैं तो कुछ हिस्सों में बहुत अधिक हैं। इसके चलते जहां किसानों का उत्पादन घटने का नुकसान हैं तो चीनी की रिकवरी में कमी से चीनी मिलो को भी नुकसान होगा।
इस बीच उत्तरप्रदेश में गन्ने के कम उत्पादन के कारण निजी क्षेत्र में प्राइस वॉर छिड़ गया है, जिसमें कोल्हू और क्रशर जैसी छोटी इकाइयां शामिल हैं। राज्य में 3,919 से अधिक कोल्हू और 258 क्रशर हैं। किसान किसी भी कीमत पर कोल्हू को अपनी फसल बेच सकते हैं लेकिन चीनी मिलें इसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर खरीदती हैं।
वर्तमान में, छोटी इकाइयां 380-400 रुपये प्रति क्विंटल पर गन्ना खरीद रही हैं क्योंकि चीनी और गुड़ का बाजार में भाव बढ़ रहा है और दोनों को 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा जा रहा हैं।
किसान संगठन एसएपी में वृद्धि की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान मजदूर संगठन (पूरन समूह) ने गन्ने की फसल के लिए एसएपी को 350 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये प्रति क्विंटल करने का आग्रह करते हुए धरना शुरू किया है।
चीनी की बढ़ेंगी कीमतें
गन्ने के उत्पादन में गिरावट के कारण यूपी में चीनी की कीमत बढ़ सकती है। राज्य की छोटी इकाइयां राज्य सरकार द्वारा घोषित निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर गन्ना खरीद रही हैं। किसान संगठन स्टेट एडवाइजड प्राइस (एसएपी) में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन की युवा शाखा के राज्य अध्यक्ष ने कहा कि गन्ना उत्पादन में 20% की कमी आई है।
मंत्री ने गन्ने की फसल के महत्व और किसानों के कल्याण पर जोर दिया। चीनी कारखाने देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य सरकार को चीनी उद्योग से अच्छी खासी आय होती है। राज्य का लक्ष्य गन्ने की खेती में अपनी रैंकिंग में सुधार करना है।
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