राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

विदिशा में पशुओं के लिए चल रहा विशेष जागरूकता अभियान

27 जून 2024, विदिशा: विदिशा में पशुओं के लिए चल रहा विशेष जागरूकता अभियान – वर्षा ऋतु में बदलते मौसम में जहाँ  मानव जीवन के स्वास्थ्य सुरक्षा पर फोकस जरूरी है, वहीं पशुधन की भी वर्षा ऋतु में देखभाल बहुत आवश्यक है। कलेक्टर श्री बुद्धेश कुमार वैद्य के द्वारा दिए गए निर्देशों के परिपालन में पशुपालन विभाग की ओर से विशेष जागरूकता अभियान चलाकर पशुपालकों को उनके पशुओं की देखभाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उप संचालक डॉ. एन.के. शुक्ला ने बताया कि इस मौसम में वातावरण में आई नमी में बढ़ोतरी के कारण पशुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जीवाणु, विषाणु, फफूंद जनित एवं पशु परजीवियों जैसे जूं मक्खी व मच्छरों से होने वाली सभी प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। विभाग द्वारा पशुपालकों को पशुओं की देखभाल के लिए जागरूक किया जा रहा है। बरसात के मौसम में पशुपालकों को पशुओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पशुओं को सूखे स्थान पर रखेंं, जहाँ पर हवा व धूप की पर्याप्त मात्रा में हो। साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखेंं। पशुओं को यदि पक्के फर्श पर रखा जाता है तो उस स्थान पर सप्ताह में कम से कम दो बार कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करें परजीवियों से बचाव के लिए पशुपालक पशु  बाड़े  में मच्छरदानी का प्रयोग करें तथा समय समय पर नजदीकी पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर परजीवियों से बचाव के लिए दवाईयाँ व जानकारी प्राप्त करेंं। पशुओं के खुरों को समय-समय पर साफ करते रहेंं, क्योंंकि इस मौसम में फफूंद को बढ़ावा मिलता है। पशुओं को समय पर पेट के कीड़ों की दवाई देंं व नियमित टीकाकरण करायें। उन्होने सलाह दी है कि अगर किसी भी बीमारी का लक्षण पशुओं में दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करें तथा पशु चिकित्सक की सलाह से उचित उपचार करवाएं।

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पूर्व में भी कलेक्टर श्री वैद्य के द्वारा निर्देशित किया जा चुका है कि सभी विकासखण्डों की शासकीय एवं अशासकीय गौशालाओं में संबंधित विभाग के अधिकारी भ्रमण करें तथा उपलब्ध गौवंश का उपचार, साफ सफाई, भूसे चारे, पानी की उपलब्धता का टीकाकरण, टैगिंग का कार्य करें, साथ ही गौशालाओं अवलोकन करें। गौशाला संचालकों को वर्षा ऋतु में गौवंश को होने वाली बीमारियों के संबंध में अवगत करावेंं, साथ ही मृत गौवंश का गरिमामय ढंग से निष्पादन करावें। किसी भी परिस्थिति में खुले में गौवंश के मृत शरीर व कंकाल न  पड़े होंं।

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