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संबल योजना: मध्यप्रदेश में 23 हजार परिवारों को मिले 505 करोड़, क्या है इस योजना की हकीकत?

29 मार्च 2025, भोपाल: संबल योजना: मध्यप्रदेश में 23 हजार परिवारों को मिले 505 करोड़, क्या है इस योजना की हकीकत? –  मध्यप्रदेश में संबल योजना एक बार फिर सुर्खियों में है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना के तहत 23,162 श्रमिक परिवारों के खातों में सिंगल क्लिक से 505 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। यह राशि उन परिवारों के लिए दी गई है, जो मुश्किल वक्त से गुजर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वर्चुअल कार्यक्रम में प्रदेश के सभी जिलों, नगर निगमों, नगर परिषदों और ग्राम पंचायतों के लाभार्थियों से बात की और मंदसौर, खरगोन, शहडोल, दतिया और सीहोर की पांच महिलाओं से उनकी परेशानियां सुनीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह योजना वाकई गरीब और श्रमिक वर्ग की जिंदगी बदल रही है?

मुख्यमंत्री ने कहा, “संबल योजना मुश्किल वक्त में जरूरतमंदों के आंसू पोंछती है। चाहे प्रसूति हो, बीमारी हो या किसी अपने को खोना, यह योजना सहारा देती है।” उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 6 लाख 58 हजार से ज्यादा परिवारों को 5,927 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दी जा चुकी है। साथ ही, योजना का बैकलॉग खत्म करने की कोशिश जारी है। इस मौके पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी वर्चुअली शामिल हुए।

योजना की खास बातें

संबल योजना के तहत कई तरह की मदद दी जाती है। दुर्घटना में मौत होने पर 4 लाख रुपये, सामान्य मौत पर 2 लाख रुपये, स्थायी अपंगता पर 2 लाख और आंशिक अपंगता पर 1 लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा गर्भवती श्रमिक महिलाओं को 16 हजार रुपये की सहायता भी दी जा रही है, ताकि उन्हें काम पर न जाना पड़े और पोषण मिल सके। पिछले साल मार्च से गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को भी इस योजना में शामिल किया गया है। साथ ही, सभी लाभार्थियों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा गया है।

कार्यक्रम में मंदसौर की अंजली रैकवार ने बताया कि पति की मृत्यु के बाद मिले 4 लाख रुपये से उन्हें सहारा मिला और अब वे ब्यूटी पार्लर का काम सीख रही हैं। शहडोल की मन्नू ढीमर ने कहा कि वे किराना दुकान चला रही हैं। वहीं, दतिया की कल्लन वाल्मीक, सीहोर की शिव कुमारी और खरगोन की प्रेमलता कर्मा ने बताया कि इस राशि से बच्चों की पढ़ाई और परिवार चलाने में मदद मिली।

कितना असरदार है संबल?

2018 में शुरू हुई यह योजना अब तक लाखों परिवारों तक पहुंची है। मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के मुताबिक, “हर महीने औसतन 3,500 मामलों का निपटारा किया जा रहा है।” लेकिन कई लाभार्थी यह भी कहते हैं कि मदद तो मिलती है, पर सरकारी प्रक्रियाओं में देरी और जागरूकता की कमी अब भी परेशानी का सबब है। कुछ जिलों में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बांटी गई, जो इसकी पहुंच को दिखाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हर परिवार तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचे। उन्होंने लोगों से लाड़ली बहना, उज्जवला और खाद्यान्न पर्ची जैसी योजनाओं से जुड़ने की अपील भी की।

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