जल गंगा संवर्धन अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे है लोग
13 मई 2025, भोपाल: जल गंगा संवर्धन अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे है लोग – प्रदेश में जलगंगा संवर्धन अभियान अब जन आंदोलन बन गया है वहीं इसका प्रभावी परिणाम भी दिखाई देने लगा है क्योंकि न केवल शहर बल्कि जिले के ग्रामीण अंचलों में पुराने कुए बावड़ियों के साथ ही निर्जिव हो चुके जल स्त्रोत भी जीवित होने लगे है। लोग अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है और कुल मिलाकर गंगा जल संवर्धन अभियान जन आंदोलन बन गया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर मध्यप्रदेश में शुरू किया गया जल गंगा संवर्धन अभियान अब एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। जल संरक्षण को लेकर शुरू हुए इस व्यापक अभियान के तहत उज्जैन जिले सहित प्रदेशभर में एक महीने के भीतर 31 हजार 857 खेत तालाब और 8202 से अधिक जल इकाइयों का संरक्षण किया गया है। 30 मार्च से शुरू हुआ यह अभियान 30 जून तक चलेगा, जिसका उद्देश्य न केवल जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना है, बल्कि समाज में जल संरक्षण को लेकर स्थायी जागरूकता भी लाना है। अभियान के तहत सरकार ने 70 हजार पारंपरिक जल स्रोतों जैसे कुएं, तालाब, बावड़ियों को सुधारने का लक्ष्य रखा है। अब तक 34 हजार 171 कुएं रिचार्ज हो चुके हैं, जबकि 932 अमृत सरोवरों का संरक्षण कार्य पूरा किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य राज्य के जल स्रोतों, नदियों तालाबों, झीलों, पुराने कुओं, बावड़ियों और जल-धाराओं को फिर से जीवित करना है। जीवित करने के बाद इन स्रोतों की देखरेख और संरक्षण किया जाएगा। सरकार ने इन सभी स्रोतों को जीवित करने, सफाई, सीमांकन करने के लिए जनभागीदारी का भी सहारा लिया है। लोग बड़ी संख्या में श्रमदान कर पानी को बचाने की कोशिश में जुटे हुए है। जिला प्रशासन विशेष रूप से नदियों के किनारे देशी प्रजातियों के पौधे रोप रहा है। इससे जमीन के नीचे जल स्तर बढ़ रहा है और मिट्टी को नुकसान से बचाया जा रहा है।
लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है
प्रदेश की मोहन सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल दीप यात्रा जल संकल्प कार्यक्रम, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है। इनके माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है और उनके बीच जल संरक्षण का संदेश भी पहुंचाया जा रहा है। अभियान के एक महीने के अंदर ही हजारों जल स्रोत पुनर्जीवित होने लगे हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने डिजिटल मॉनिटरिंग और मूल्यांकन प्रणाली की व्यवस्था की है। सभी गतिविधियों की जीआईएस ट्रैकिंग और इंपैक्ट वैल्यूएशन किया जा रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान 30 मार्च से शुरू हुआ है। यह 30 जून तक चलेगा।
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