जैविक खेती: स्वच्छ पर्यावरण और स्वस्थ जीवन की ओर
लेखक – श्रीयांशु राठौर, छात्र, कृषि महाविद्यालय, रीवा (म.प्र.)
20 जून 2025, रीवा: जैविक खेती: स्वच्छ पर्यावरण और स्वस्थ जीवन की ओर – बदलते समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अधिक उपयोग ने खेती की परंपरागत प्रणाली को काफी प्रभावित किया है। इसका असर न केवल मिट्टी की उर्वरता पर पड़ा है, बल्कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी इसका दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। ऐसे में जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रही है।
जैविक खेती वह पद्धति है जिसमें सिंथेटिक रसायनों की बजाय प्राकृतिक संसाधनों जैसे गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम आधारित कीटनाशक आदि का उपयोग किया जाता है। यह पद्धति न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती है, बल्कि लंबे समय तक फसल उत्पादन में भी सहायक होती है।
जैविक खेती की विशेषताएं
- • रासायनिक अवशेषों से मुक्त खाद्य उत्पाद
- • भूमि की प्राकृतिक उर्वरता में वृद्धि
- • जल स्रोतों और पर्यावरण की सुरक्षा
- • किसानों के लिए टिकाऊ लाभ का माध्यम
जैविक उत्पादों की मांग
आजकल उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। लोग जैविक फल, सब्जियाँ और अनाज को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके कारण जैविक खेती से जुड़े किसानों को बाज़ार में बेहतर दाम और पहचान दोनों मिल रही है।
समाज के लिए लाभदायक
जैविक खेती केवल एक कृषि पद्धति नहीं, बल्कि यह समाज और पर्यावरण को साथ लेकर चलने वाला संपूर्ण विचार है। इससे प्रदूषण में कमी, पारिस्थितिक संतुलन और टिकाऊ विकास को बल मिलता है।
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