राज्य कृषि समाचार (State News)

सिवनी में कृषि से संबंधित विभागों की बैठक संपन्न

01 नवंबर 2025, सिवनी: सिवनी में कृषि से संबंधित विभागों की बैठक संपन्न – कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने शुक्रवार को  कलेक्ट्रेट सभागार में कृषि से संबंधित विभागों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, सहकारिता, मार्कफेड, मंडी बोर्ड सहित अन्य विभागों के अधिकारी तथा उर्वरक वितरण कंपनियों के जिला प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इनमें  सीईओ जिला पंचायत श्रीमती अंजली शाह, उप संचालक कृषि श्री एस के धुर्वे, सहायक संचालक उद्यानिकी श्रीमती आशा उपवंशी, पशुपालन उपसंचालक डॉ जे पी शिव तथा मत्स्य, सहकारिता विभाग के अधिकारी, मार्कफेड एवं मंडी बोर्ड के अधिकारी  शामिल हैं ।    

कलेक्टर श्रीमती पटले ने कहा कि जिले में रबी सीजन की तैयारी सुचारू एवं समन्वित ढंग से की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, मार्कफेड एवं मंडी विभाग परस्पर समन्वय कर यह सुनिश्चित करें कि किसानों को खाद, बीज और सिंचाई से संबंधित कोई समस्या न हो।   उन्होंने फसलवार रकबा, उर्वरक एवं बीज की वर्तमान स्थिति की जानकारी लेते हुए कहा कि मांग के अनुसार पर्याप्त मात्रा में भंडारण एवं वितरण व्यवस्था पहले से सुनिश्चित की जाए। किसानों को प्राथमिकता के आधार पर उर्वरक उपलब्ध हो, इसके लिए समितियों, सहकारी संस्थाओं और निजी विक्रेताओं के बीच तालमेल बनाया जाए।        

कलेक्टर श्रीमती पटले ने वर्तमान में भावान्तर योजना अंतर्गत मंडियों में चल रही सोयाबीन खरीदी की प्रगति की जानकारी लेते हुए निर्देश दिए कि किसानों को उनकी फसल की गुणवत्ता के अनुसार उचित मूल्य प्राप्त हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि खरीदी केंद्रों पर तोल, परिवहन और भुगतान की प्रक्रिया में किसी प्रकार की लापरवाही न हो तथा मंडी अधिकारियों को मैदान में रहकर लगातार मॉनिटरिंग करनी चाहिए।   कलेक्टर श्रीमती पटले ने कोदो-कुटकी उपार्जन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि मोटे अनाजों का उत्पादन राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इन फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और विपणन सहयोग उपलब्ध कराया जाए।      

बैठक में नरवाई प्रबंधन के विषय पर विशेष चर्चा की गई। कलेक्टर श्रीमती पटले ने कहा कि खेतों में नरवाई जलाने से मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इससे पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ता है। उन्होंने कृषि अभियांत्रिकी विभाग को निर्देश दिए कि किसानों को नरवाई प्रबंधन के विकल्पों से अवगत कराया जाए और अधिक से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ। इन कार्यशालाओं में सीडर, सुपर सीडर, हैपी सीडर, रोटावेटर, स्ट्रा रेक, बेलर मशीन जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया जाए ताकि किसान इनका उपयोग समझ सकें। जिलें में मेढ़-नाली पद्धति से बोई गई मक्का फसलों में मोबाइल श्रेडर मशीन के सफल प्रयोगों को जिलेभर में प्रचारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को सभी किसानों को व्यवहारिक प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए।        

कलेक्टर  ने कृषि और उद्यानिकी विभागों को निर्देश दिए कि माइक्रो इरिगेशन तकनीक (ड्रिप एवं स्प्रिंकलर प्रणाली) को अधिकाधिक बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में किसान नहरों से सिंचाई पर निर्भर हैं, जिससे जल की मांग बढ़ जाती है। माइक्रो इरिगेशन अपनाने से जल की बचत, सिंचाई दक्षता में वृद्धि और उत्पादन लागत में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि विभाग गांव-गांव जाकर किसानों को इस योजना के लाभ बताएं और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना  पर ड्रॉप मोर क्रॉप के अंतर्गत अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जाए।  

कलेक्टर ने उद्यानिकी विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए विभागीय लक्ष्यों के विरुद्ध प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि जिले में उद्यानिकी फसलों के रकबे की अद्यतन जानकारी गिरदावरी में दर्ज कराने के निर्देश दिए। उन्होंने ‘‘एक जिला – एक उत्पाद’’ योजना के अंतर्गत शामिल सीताफल के प्रसंस्करण उत्पादों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सीताफल से जूस, पल्प, आइसक्रीम, जैम एवं अन्य प्रसंस्कृत उत्पाद बनाकर विपणन की दिशा में कदम बढ़ाए  जाएं । इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए, ताकि किसानों को उनके उत्पादों की बिक्री और विपणन की सुनिश्चितता मिले एवं कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन प्राप्त हो। उन्होंने जिले में मखाना उत्पादन की कार्ययोजना में मत्स्य विभाग को भी उद्यानिकी विभाग से समन्वय बनाकर मत्स्य पालक किसानों एवं समितियों को मखाना उत्पादन के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने कहा कि कृषि विविधीकरण समय की आवश्यकता है। पारंपरिक फसलों के साथ फल, सब्जी, फूल एवं औषधीय पौधों की खेती से किसानों की आमदनी में वृद्धि संभव है। उन्होंने विभाग को सुझाव दिया कि ब्लॉक स्तर पर सफल किसानों के अनुभव साझा करने के लिए प्रदर्शन शिविर आयोजित किए जाएँ। पशुपालन और मत्स्य विभाग को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन योजनाओं के अंतर्गत अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों को कृषि के पूरक व्यवसाय के रूप में विकसित किया जाए ताकि किसानों की वार्षिक आय स्थिर बनी रहे। उन्होंने पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान एवं टीकाकरण का लक्ष्यानुरूप  प्रगति लाने के निर्देश दिये।      

कलेक्टर ने सहकारिता विभाग को प्राथमिक कृषि साख समितियों की सक्रियता बढ़ाने तथा समितियों के माध्यम से किसानों को ऋण, बीमा और उर्वरक की सुविधाएँ समय पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।  उन्होंने निर्देशित किया कि प्रत्येक समिति यह सुनिश्चित करे कि उसके क्षेत्र में कोई भी पात्र किसान आवश्यक उर्वरक या बीज के अभाव में वंचित न रहे।  उन्होंने समितियों को जन औषधि केंद्रों, कॉमन सर्विस सेंटर जैसी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये।        

कलेक्टर श्रीमती पटले ने मंडी बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिए कि फार्म गेट ऐप में अधिक से अधिक किसानों और व्यवसाय का पंजीयन कराया जाए, ताकि कृषि उपज के ऑनलाइन लेनदेन और विपणन की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी एवं सुगम बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस ऐप के माध्यम से किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करने में सुविधा होगी तथा व्यापारियों को भी खरीदी-विक्रय की प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से सुलभ होगी।   कलेक्टर ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा उन्नत तकनीकों, जैविक खेती एवं मृदा परीक्षण को बढ़ावा देने हेतु गांव स्तर पर किसान प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इससे किसानों में जागरूकता बढ़ेगी और उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिले के सभी विकासखंडों में किसान संवाद कार्यक्रम आयोजित कर नवाचारों और सफल प्रयोगों का प्रसार किया जाए।    

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