राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

मिलिए आदान विक्रेता से

जयश्री एग्रो एजेंसी: व्यवहार और सहयोग से मिला मुकाम

23 नवंबर 2024, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): मिलिए आदान विक्रेता से – कृषि आदान विक्रय के क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच बिरले ही ऐसे होते हैं, जो मुकाम हासिल कर पाते हैं। कसरावद में मंडलेश्वर रोड़ स्थित जयश्री एग्रो एजेंसी के संचालक श्री सुनील पाटीदार भी ऐसी ही शख्सियत है, जिन्होंने अपने व्यवहार और सहयोग से अल्प समय में आदान विक्रेता के रूप में मुकाम हासिल किया है। खासतौर से फल संबंधी फसलों से जुड़े कृषि आदान की बिक्री कर विश्वसनीयता प्राप्त की है।

 एम कॉम तक शिक्षित कृषक श्री सुनील पाटीदार (38 वर्ष ) ने कृषक जगत को बताया कि 2007 में दो -तीन कंपनियों के कृषि उत्पादों की होलसेल बिक्री के साथ इस व्यवसाय में प्रवेश किया था। कृषकों का अच्छा प्रतिसाद मिला और व्यवसाय का विस्तार होता गया। 2018 में कृषि आदानों की फुटकर बिक्री शुरू की। जिसमें खाद, बीज, उर्वरक के अलावा नामी कंपनियों के रासायनिक ,बायो और  बैक्टेरियल उत्पाद भी शामिल किए, ताकि ज़मीन को खेती करने लायक रखा जा सके। नवाचार के तहत इन्होंने किसानों के खेतों तक एग्रोनॉमिस्ट की सेवाएं उपलब्ध कराई। कृषि आदान बिक्री पश्चात सेवा के तहत स्वयं किसानों को फसल लगाने से लेकर कटाई तक में लगने वाले संसाधन जुटाने में भी सहयोग करते हैं। इससे न केवल कृषक को संतुष्टि मिलती है , बल्कि उनका विश्वास भी हासिल होता है।

श्री पाटीदार के व्यवसाय में 90 % बिक्री फल संबंधी फसलों जैसे  केला, तरबूज, खरबूज, पपीता पर केंद्रित होने से इन फसलों  से संबंधित उत्पाद अधिक बिकते हैं। इनके द्वारा केला फसल के लिए टिश्यू कल्चर भी उपलब्ध  कराए जाते  हैं। किसानों के लिए इनके यहां निजी स्प्रे मशीन और निजी ड्रोन भी किराए पर उपलब्ध हैं। जहाँ नियमित ग्राहकों को किराए में छूट भी दी जाती है। किसानों को उनकी फल उपज की बिक्री और सौदों में भी मदद  की जाती है। आदान विक्रेता के अलावा श्री पाटीदार कृषक भी हैं, कसरावद के पास गृह ग्राम भीलगांव में 25 बीघा ज़मीन में परम्परागत कपास, गेहूं ,चना के अलावा तरबूज, खरबूज , पपीता और  केले  की भी खेती करते हैं। श्री पाटीदार को गत वर्षों में कृषि आदान विक्रेता संघ , भोपाल, मेट्रोजन बायोटेक , पोलन एग्रो मिनरल्स प्रा लि द्वारा शील्ड और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। इस उपलब्धि में कृषकों के प्रति व्यवहार और सहयोग का बड़ा योगदान है।

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