पीएम एफएमई- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना
आत्मनिर्भर भारत
21 नवम्बर 2022, भोपाल । पीएम एफएमई- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना –
उद्देश्य
(1) जीएसटी, एफएसएसएआई स्वच्छता मानकों और उद्योग आधार के लिए पंजीकरण के साथ-साथ उन्नयन एवं फॉर्मलाइजेशन के लिए पूंजी निवेश हेतु सहायता।
(2) कुशल प्रशिक्षण, खाद्य सुरक्षा मानकों एवं स्वच्छता के संबंध में तकनीकी जानकारी देने एवं गुणवत्ता सुधार के माध्यम से क्षमता निर्माण।
(3) बैंक ऋण एवं डीपीआर तैयार करने के लिए हैंड-होल्डिंग सहायता।
(4) पूंजी निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा ब्रांडिंग एवं विपणन सहायता के लिए कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), उत्पादक सहकारी संस्थाओं को सहायता।
एक जिला एक उत्पाद
इस योजना में एक जिला एक उत्पाद के तहत इनपुट की खरीद, सामान्य सेवाओं का लाभ लेने तथा उत्पादों के विपणन के लाभों को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। ओडीओपी उत्पाद शीघ्र सडऩे-गलने वाली उपज पर आधारित, अनाज आधारित उत्पाद या व्यापक रूप से जिले और उनके सहयोगी क्षेत्रों में उत्पादित खाद्य उत्पाद हो सकता है। उदाहरण के तौर पर आम, आलू, संतरा, टमाटर, साबूदाना, भुजिया, पापड़, अचार, मोटे अनाज आधारित उत्पाद, मत्स्यिकी, पोल्ट्री तथा पशुचारा आदि।
व्यक्तिगत सूक्ष्म खाद्य उद्यमों का उन्नयन
इच्छुक उद्यमी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना प्रोजेक्ट लागत के 35 प्रतिशत पर क्रेडिट- लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं, अधिकतम सब्सिडी 10 लाख रुपए प्रति उद्यम तक हो सकती हैं। लाभार्थी का योगदान न्यूनतम 10 प्रतिशत होना चाहिए और शेष राशि बैंक से ऋण होगी।
एफपीओ स्वयं सहायता समूहों एवं को-आपरेटिव को सहायता- यह योजना 35 प्रतिशत क्रेडिट-लिंक्ड अनुदान सहित संपूर्ण मूल्य श्रृंखला समेत पूंजी निवेश हेतु एफपीओ/ स्वयं सहायता समूहों/उत्पादक सहकारी संस्थाओं को सहायता प्रदान करेगी।
स्वयं सहायता समूहों को प्रारंभिक पूंजी- वर्किंग कैपिटल तथा छोटे औजारों की खरीद के लिए खाद्य प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य को रुपए 40,000/- की दर से प्रारंभिक पूँजी प्रदान की जाएगी। अनुदान के रूप में प्रारंभिक पूँजी एसएचजी फेडरेशन के स्तर पर दी जाएगी जो एसएचजी के माध्यम से ऋण के रूप में सदस्यों को दी जाएगी।
सामान्य अवसंरचना
एफपीओ/ एसएचजी/ सहकारी संस्थाओं, राज्य के स्वामित्व वाली एजेंसियों और निजी उद्यमियों को सामान्य प्रसंस्करण सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग और इन्क्यूबेशन केन्द्र समेत इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 35 प्रतिशत की दर से क्रेडिट-लिंक्ड अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
योजना की पात्रता
योजना के तहत आवेदन करने के लिए आवेदक को भारत का स्थाई निवासी होना चाहिए। आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। एक परिवार का केवल एक व्यक्ति वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु पात्र होगा।
महत्वपूर्ण दस्तावेज
आधार कार्ड, स्थायी प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता, पासपोर्ट साइज फोटो, मोबाइल नम्बर
ब्रांडिंग और बिक्री सहायता
साझा पैकेजिंग और ब्रांडिंग विकसित करने, गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण का विकास करने तथा उपभोक्ता फुटकर बिक्री के लिए फूड सेफ्टी पैरामीटरों का पालन करने के लिए ओडीओपी दृष्टिकोण अपनाते हुए योजना के अंतर्गत एफपीओ/ एसएचजी/सहकारी संस्थाओं अथवा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों एसपीवी को ब्रांडिंग और बिक्री सहायता दी जाएगी। ब्रांडिंग और विपणन के लिए सहायता कुल व्यय की 50 प्रतिशत तक सीमित होगी।
आवेदन की प्रक्रिया
सहायता प्राप्त करने के इच्छुक मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटें एफएमई पोर्टल पर आवेदन कर सकती हैं। क्षेत्र स्तरीय सहायता के लिए उद्यानिकी विभाग के जिला अधिकारी डीपीआर तैयार करने, बैंक ऋण प्राप्त करने, आवश्यक पंजीकरण तथा एफएसएसएआई के खाद्य मानकों, उद्योग आधार एवं जीएसटी प्राप्त करने के लिए सहायता उपलब्ध कराएंगे। एफपीओ/स्वयं सहायता समूहों/ सहकारी संस्थाओं, कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर एवं विपणन तथा ब्रांडिंग के समर्थन के लिए आवेदन डीपीआर समेत राज्य नोडल एजेंसी को भेजे जा सकते हैं। राज्य नोडल एजेंसी अनुदान के लिए परियोजना को अवगत कराएंगे और बैंक ऋण के लिए सिफारिश करेंगे। सरकार द्वारा अनुदान ऋणदाता बैंक में लाभार्थी के खाते में जमा किया जाएगा। यदि ऋण की अंतिम किश्त के संवितरण से 3 वर्ष की अवधि के पश्चात लाभार्थी अगर नियमित ऋण व ब्याज चुका रहा है और उद्यम ढंग से काम कर रहा हो तो यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में समायोजित की जाएगी। ऋण में अनुदान राशि के लिए बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा।
दिशा निर्देश एवं संपर्क
योजना के विस्तृत दिशा निर्देश मंत्रालय की वेबसाइट द्वशद्घश्चद्ब.ठ्ठद्बष् पर देखे जा सकते हैं। व्यक्तिगत उद्यमी एवं अन्य इच्छुक लोग योजना शुरू किए जाने तथा जिला स्तर पर संपर्क स्थानों के संबंध में अपने जिले के नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
किन-किन यूनिट पर अनुदान प्राप्त होगा
सभी प्रकार की प्रसंस्करण इकाईयों पर अनुदान
फल उत्पाद– आम अचार, अमचूर, जूस इत्यादि अमरूद जैली, जेम, आंवला, नींबू का अचार, मार्मलैंड, पाउडर इत्यादि।
सब्जी उत्पाद- टमाटर केचप, ड्राय टोमेटो, मिर्च सॉस, ड्राय चिली पाउडर, करेला-जूस, आलू चिप्स इत्यादि।
मसाला उत्पाद- हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर, अदरक सोंठ, ड्राय प्याज, लहसुन पेस्ट, अचार।
अनाज उत्पाद– आटा मिल, दाल मिल, आटा चक्की, पोहा मिल, पल्वराइज मिल, गीला मसाला/ गीली दाल पीसने वाली चक्की, धान मिल इत्यादि।
अन्य उत्पाद- पापड़, पास्ता, नमकीन, कुरकुरे, टेस्टी, ब्रेड, टोस्ट, साबूदाना उद्योग, बरी, गुड़, तेल मिल, पेठा, गजक, चिक्की, पशु/पोल्ट्री आहार, मछली, पोल्ट्री, मांस फ्रीजिंग, मिल्क प्लांट, पनीर उद्योग, घी उद्योग, एलोवेरा प्लांट आदि।
सभी प्रकार की डिहाईड्रेशन मशीन यूनिट- सोलर एवं आटोमेटिक सिस्टम।
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
आधार कार्ड, पेन कार्ड, मार्कशीट, कोटेशन मशीनरी, इनकम टैक्स रिटर्न तीन साल का (यदि उपलब्ध है) यूनिट की जगह के दस्तावेज- रजिस्ट्री/खसरा की छाया प्रति, डायवर्शन की कॉपी/ऑनलाइन आवेदन की रसीद, यूनिट का प्रमाणित नक्शा, दोनों बैंकों की पास बुक की छाया प्रति, बिजली का बिल, यदि पुराना उद्यम है तब ऑडिट बैलेंस शीट (तीन वर्ष की: यदि पूर्व का कोई लोन है तो लोन स्टेटमेंट (विगत 6 माह) संस्था का पंजीयन, उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन, जीएसटी रजिस्ट्रेशन (यदि उपलब्ध है), प्रस्तावित यूनिट की जगह का फोटो, प्रोजेक्ट रिपोर्ट।
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